रायसेन। सांचेत ग्राम डाबर में चल रही संगीतमय श्री रामकथा का समापन किया जा रहा है। वहीं कथा वाचक पंडित श्री श्री 108 गौ पीठाधीश्वर बिपिन बिहारी दास महाराज ने कहा कि रामायण संमार्ग पर चलना सिखाती है। कथा व्यास ने सीता हरण, सुग्रीव मित्रता,शबरी की कथा का मनोहारी वर्णन किया। श्रीरामचरितमानस "भाई -भाई से प्रेम और जीवन जीने की कला सिखाती है श्री रामकथा के आखिरी दिन प्रभु श्री राम के राज्याभिषेक की कथा का वर्णन किया। कथा वाचक पंडित श्री श्री 108 गौ पीठाधीश्वर बिपिन बिहारी दास महाराज ने मानसप्रेमियों का बताया कि रामचरितमानस प्रेम और जीवन जीने की कला सिखाती है आखिरी दिन राज्याभिषेक के समय राजा रामचंद्र जी के जयकारों से पूरा पंडाल गूंज उठा उन्होंने रावण वध और राम राज्याभिषेक की कथा का वर्णन किया। बताया कि भगवान राम जब रावण को मारकर अयोध्या वापस आए तो अयोध्यावासियों ने उनका बड़े उत्साह के साथ स्वागत किया। अयोध्यावासियों ने फूल वर्षा कर तथा घर में उत्सव मनाकर घी के दिए जलाकर के राम, लक्ष्मण तथा सीता का स्वागत किया। श्री रामचंद्र जी के राज्याभिषेक में समस्त ब्रह्मांड के देवी देवता पधारे थे। सभी ने राम को राजा बनते देखकर अपार हर्ष व्यक्त किया था। रामायण संमार्ग पर चलना सिखाती है। कथा व्यास ने सीता हरण, सुग्रीव मित्रता,शबरी की कथा का मनोहारी वर्णन किया। श्रीरामचरितमानस "भाई -भाई से प्रेम और जीवन जीने की कला सिखाती है।