अक्सर ऐसा होता है कि कुछ लोगों के शरीर में बेवजह हमेशा आलस और थकान बनी रहती है। ऐसा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, आमतौर पर इसके पीछे शरीर की कुछ आंतरिक बीमारी हो सकती है।
By: Manohar pal
Oct 27, 20255:41 PM
अक्सर ऐसा होता है कि कुछ लोगों के शरीर में बेवजह हमेशा आलस और थकान बनी रहती है। ऐसा होने के पीछे कई कारण हो सकते हैं, आमतौर पर इसके पीछे शरीर की कुछ आंतरिक बीमारी हो सकती है, लेकिन अगर आप स्वस्थ हैं और पूरी नींद भी ले रहे हैं इसके बावजूद भी शरीर में थकान बनी रहती है तो ये क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम का संकेत हो सकता है।
इस बीमारी का सबसे बड़ा लक्षण यह है कि आपको लंबे समय से लगातार अत्यधिक थकान रहती है, जो आराम करने के बाद भी दूर नहीं होती। यह एक जटिल और दीर्घकालिक बीमारी है। यह एक ऐसी थकान है जो आपकी रोजमर्रा की गतिविधियों को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है। इस बीमारी में न केवल शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होती है, बल्कि मरीज को शारीरिक या मानसिक मेहनत के बाद थकान का स्तर अचानक बहुत ज्यादा बढ़ जाता है, जिसे पोस्ट-एग्जर्शनल मैलेज कहते हैं।
क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम से पीड़ित व्यक्ति अक्सर नींद से जागने के बाद भी तरोताजा महसूस नहीं करते, और उन्हें मांसपेशियों तथा जोड़ों में दर्द की शिकायत भी रहती है। यह सिंड्रोम उन लोगों में होने का अधिक खतरा होता है जो किसी गंभीर वायरल संक्रमण से उबर चुके होते हैं। आइए इस लेख में इसी के बारे में जानते हैं।
याददाश्त और एकाग्रता की समस्या
क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम का एक बड़ा लक्षण है 'ब्रेन फॉग'। इसमें मरीजों की याददाश्त और ध्यान केंद्रित करने की क्षमता बहुत कम हो जाती है। उन्हें कोई भी बात याद रखने या किसी एक काम पर फोकस करने में बहुत मुश्किल आती है। इस वजह से उनका दफ्तर का काम और रोजमर्रा का जीवन बुरी तरह प्रभावित होता है। यह सिर्फ थकान नहीं है, बल्कि मानसिक क्षमता पर सीधा असर डालती है, जिससे व्यक्ति हमेशा उलझन में महसूस करता है।
वायरल जैसे दिखने वाले लक्षण
थकान के साथ-साथ, क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम के मरीजों को अक्सर बिना किसी खास वजह के गले में दर्द महसूस होता है। उन्हें गर्दन या बगल में लिम्फ नोड्स (गांठों) में दर्द और बार-बार सिरदर्द की शिकायत भी रहती है। ये सभी लक्षण किसी आम वायरल संक्रमण की तरह लगते हैं, लेकिन ये लंबे समय तक बने रहते हैं।
इस बीमारी का कैसे पता चलता है?
क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम का पता लगाना आसान नहीं होता, क्योंकि इसके लक्षण डिप्रेशन या थायरॉयड जैसी कई अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते हैं। डॉक्टर इसका निदान तभी करते हैं जब व्यक्ति को छह महीने या उससे अधिक समय तक लगातार और गंभीर थकान बनी रहे, और सभी अन्य संभावित बीमारियों की जांच करके उन्हें खारिज कर दिया जाए। यह एक लंबी प्रक्रिया है, जिसके बाद ही क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम की पुष्टि होती है।
क्या करें?
क्रॉनिक फटिग सिंड्रोम का कोई एक जादुई इलाज उपलब्ध नहीं है। इसके प्रबंधन के लिए सबसे जरूरी है जीवनशैली में सकारात्मक बदलाव लाना। ऐसे मरीजों को पर्याप्त और गहरी नींद लेनी चाहिए, साथ ही तनाव कम करने के तरीके सीखने चाहिए। शारीरिक गतिविधि को भी अचानक नहीं, बल्कि धीरे-धीरे और नियंत्रित तरीके से बढ़ाना जरूरी है। इन सब के अलावा भी अगर दर्द बना रहे तो डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए।