भोपाल रेलवे स्टेशन के पास पात्रा पुल से लगे टिंबर मार्केट में बीती रात लगी भीषण आग ने शासन-प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है। आगजनी की घटना के बाद से स्थनीय लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है।
By: Arvind Mishra
Nov 10, 202510:23 AM

भोपाल। स्टार समाचार वेब
भोपाल रेलवे स्टेशन के पास पात्रा पुल से लगे टिंबर मार्केट में बीती रात लगी भीषण आग ने शासन-प्रशासन के तमाम दावों की पोल खोलकर रख दी है। आगजनी की घटना के बाद से स्थनीय लोगों में काफी आक्रोश देखा जा रहा है। शुक्र है! मौके पर पहुंची 40 दमकलों ने मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया, अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। आसपास के रहवासियों के साथ ही भोपाल स्टेशन तक आग की चपेट में आ जाते। आग कितनी भीषण थी इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि सुबह तक धुआं उठ रहा है। वहीं भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह और पुलिस अधिकारी रात में ही मौके पर पहुंचे। विधायक आरिफ मसूद ने भी पहुंच कर स्थिति का जायजा लिया। साथ ही कहा कि टालों की अवैध मशीनों को हटाने का मुद्दा पहले भी उठाया गया था, लेकिन कुछ नहीं किया गया। अब जिसकी एक बार फिर समीक्षा की जाएगी।
राजनीतिक खींचतान
लकड़ी बाजार राजनीति का अखाड़ा भी बन गया है। जब भी प्रशासन सक्रियता दिखाता है तो राजनीतिक खींचतान शुरू हो जाती है। सभी दलों के नेता अलग-अलग राग अलापने लगते हैं। इसका फायदा टाल संचालक उठाते हैं और बेखौफ शहर के बीचोंबीच अपना धंधा संचालित कर रहे हैं।
दरअसल, शहर के बीचोंबीच संचालित टाल न सिर्फ मेट्रो के रूट के लिए बड़ी अड़चन बने हैं, बल्कि बारूद के ढेर जैसे हो गए गए हैं। इसकी शिफ्टिंग के लिए डेढ़ साल से हवा में ही कवायद चल रही है। दावा किया जा रहा है कि 18 एकड़ जमीन और 5.85 करोड़ रुपए भी दिए जा चुके हैं, लेकिन अब तक टिंबर मार्केट शिफ्ट नहीं हो सका है।
पातरा पुल क्षेत्र में स्थित इसी 108 आरा मशीनों वाले टिंबर मार्केट में रविवार रात को आग लग गई। छह आरा मशीनें पूरी तरह से जल गईं। ढाई करोड़ रुपए से ज्यादा के नुकसान का दावा किया जा रहा है। पूरी रात इलाके में दहशत व्याप्त रही। लोग सो नहीं पाए, सड़कों पर टहलते नजर आए। टिंबर मार्केट के पिछले हिस्से से रेलवे ट्रैक भी गुजरा है।
शहर में संचालित टिंबर मार्केट में आगजनी की यह पहली घटना नहीं है। 2016 में भी ऐसी ही भीषण लगी थी। तीन आरा मशीनों की आग 4 घंटे में 36 दमकलों ने बुझाई थी। पिछले साल भी ऐसी ही घटना हुई। इसके बावजूद आरा मशीनें शिफ्ट नहीं हुईं। आए दिन लग रही आग के बाद भी जिम्मेदार सबक नहीं ले रहे हैं।
दावा किया जा रहा है कि यह टिंबर मार्केट 50 साल पुराना है। धीरे-धीरे इस मार्केट के आसपास रहवासी इलाके बस गए। आरा मशीनों में हर साल आग की बड़ी घटनाओं को देखते हुए मेट्रो के बहाने इन्हें 30 किलोमीटर दूर परवलिया के छोटा रातीबड़ में शिफ्ट करने का प्रोजेक्ट बना।
आरा मशीनों को शिफ्ट करने के लिए 50 बार प्रशासन स्तर पर मंथन हो चुका है। दर्जन भर स्थानों का चयन भी किया गया। जद्दोजहद के बाद छोटा रातीबड़ में 18 एकड़ जमीन अलॉट की गई। यहां बुनियादी सुविधाएं देने के लिए मेट्रो कॉरपोरेशन ने साढ़े 5 करोड़ भी दे दिए। कुछ महीनों तक तो टेंडर की प्रक्रिया के बीच ही फाइल दौड़ती रही। जब काम की शुरुआत हुई तो वह कछुए की चाल जैसा चल रहा है।
आरा मशीनों को छोटा रातीबड़ से पहले कबाड़खाना, ऐशबाग स्टेडियम के पास, गोविंदपुरा से लेकर ट्रांसपोर्ट नगर और चांदपुर में शिफ्ट करने के प्रयास हुए थे, लेकिन बात नहीं बन सकी। दो साल पहले पहली बार आरा मशीन संचालकों को नोटिस जारी कर छोटा रातीबड़ में शिफ्ट होने का आप्शन दिया गया। कहा गया कि वे शिफ्ट नहीं होंगे तो हटा दिया जाएगा। इसके बाद सभी संचालकों ने लिखित में दिया था कि वे शिफ्ट होने के लिए तैयार हैं। जमीन जिला उद्योग केंद्र को दी गई थी। फिर सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग ने टेंडर कॉल किए थे। आरा मशीनों की शिफ्टिंग के बारे में सबसे पहले साल 2007 में बात हुई थी।