इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए संसद के मानसून सत्र में प्रस्ताव लाने की योजना पर केंद्र तेजी से काम कर रहा है। सरकार ने विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया है और कई प्रमुख दलों ने सैद्धांतिक रूप से इस प्रस्ताव का समर्थन करने की सहमति दे दी है।
By: Arvind Mishra
Jul 12, 2025just now
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज जस्टिस यशवंत वर्मा को पद से हटाने के लिए संसद के मानसून सत्र में प्रस्ताव लाने की योजना पर केंद्र तेजी से काम कर रहा है। सरकार ने विपक्षी दलों के साथ विचार-विमर्श शुरू कर दिया है और कई प्रमुख दलों ने सैद्धांतिक रूप से इस प्रस्ताव का समर्थन करने की सहमति दे दी है। जल्द ही सांसदों के हस्ताक्षर जुटाने की प्रक्रिया पूरी हो जाएगी, ऐसी संभावना है कि यह प्रस्ताव लोकसभा में पहले लाया जाएगा। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज जस्टिस यशवंत वर्मा को हटाने के लिए केंद्र सरकार ने संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी शुरू कर दी है। इसके लिए लोकसभा सांसदों के साइन जुटाए जा रहे हैं। कई सांसदों के दस्तखत लिए जा चुके हैं। इससे संकेत मिल रहा है कि प्रस्ताव लोकसभा में लाया जा सकता है। लोकसभा में महाभियोग प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम 100 सांसदों के साइन जरूरी होते हैं। वहीं, राज्यसभा में यह संख्या 50 सांसदों की होती है। संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू पहले ही कह चुके हैं कि जस्टिस वर्मा को हटाने का प्रस्ताव 21 जुलाई से शुरू हो रहे मानसून सत्र में लाया जाएगा।
गौरतलब है कि जस्टिस वर्मा के लुटियंस दिल्ली स्थित आधिकारिक आवास के स्टोर रूम में 14 मार्च की रात आग लग गई थी। यहां से 500-500 रुपए के जले नोटों के बंडलों से भरे बोरे मिले थे। वर्मा अभी इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज हैं। दिल्ली हाईकोर्ट से उनका ट्रांसफर कर दिया गया था। उन्हें किसी भी तरह का न्यायिक कार्य सौंपने पर रोक है।
चश्मदीदों ने जले नोट देखे: 10 चश्मदीदों ने आधी जली हुई नकदी देखी, इनमें दिल्ली फायर सर्विस, पुलिस के अधिकारी थे। इन सभी ने जस्टिस वर्मा के घर के स्टोर रूम में जले हुए नोटों के ढेर देखे थे।
वर्मा ने खंडन नहीं किया: इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्य (स्टोर रूम के वीडियो-फोटो) चश्मदीदों के बयानों की पुष्टि करते हैं। घटनास्थल पर लिए गए वीडियो और आरोपों का जस्टिस वर्मा ने भी खंडन नहीं किया है।
घरेलू कर्मचारियों ने नोट निकाले: जस्टिस वर्मा के दो घरेलू कर्मचारियों राहिल, हनुमान पार्षद शर्मा और राजिंदर सिंह कार्की ने स्टोर रूम से जले हुए नोट निकाले थे।
बेटी ने गलत बयान दिया: जस्टिस वर्मा की बेटी दीया ने वीडियो के बारे में गलत बयान दिया। कर्मचारी की आवाज पहचानने से इंकार कर दिया, जबकि कर्मचारी ने खुद स्वीकार किया था कि आवाज उसकी है।परिवार की अनुमति के बिना कोई भी नहीं आ सकता था, इसलिए एक जज के स्टोर रूम में नोट रखना असंभव है, क्योंकि हर समय गेट पर तैनात 1+4 सुरक्षा गार्ड और एक पीएसओ निगरानी रखता है।
55 लोगों के बयान दर्ज: समिति ने 55 गवाहों के बयान दर्ज किए। इनमें दिल्ली फायर सर्विस के 11, दिल्ली पुलिस के 14, सीआरपीएफ के 6, जस्टिस वर्मा के घरेलू व कोर्ट स्टाफ के 18 लोग, जस्टिस वर्मा व उनकी बेटी आदि शामिल हैं।