भारतीय जनता पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 50 प्रतिशत राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुनने के बाद ही होता है। अभी भाजपा की 37 मान्यता प्राप्त स्टेट यूनिट हैं। इनमें से 26 राज्यों में अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। भाजपा ने जुलाई के शुरुआत 2 दिन में 9 राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष चुने।
By: Arvind Mishra
Jul 06, 20251 hour ago
भारतीय जनता पार्टी के संविधान के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव 50 प्रतिशत राज्यों में प्रदेश अध्यक्ष चुनने के बाद ही होता है। अभी भाजपा की 37 मान्यता प्राप्त स्टेट यूनिट हैं। इनमें से 26 राज्यों में अध्यक्ष चुने जा चुके हैं। भाजपा ने जुलाई के शुरुआत 2 दिन में 9 राज्यों में नए प्रदेश अध्यक्ष चुने। इसके बाद से राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव की तस्वीर साफ हो गई है। पार्टी ने 1-2 जुलाई को 9 राज्यों (हिमाचल, उत्तराखंड, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, तेलंगाना, मध्य प्रदेश, पश्चिम बंगाल, दमन दीव और लद्दाख) में प्रदेश अध्यक्षों का चुनाव किया। अब सबकी नजरें दिल्ली दरबार पर टिकी हैं। गौरतलब है कि बतौर राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का कार्यकाल जून 2024 को खत्म हो है। वह एक्सटेंशन पर हैं। वहीं, वह केंद्र में मंत्री भी हैं, इस वजह से भाजपा जल्द नया अध्यक्ष चुनने की तैयारी में जुटी है। दरअसल, भाजपा जल्द ही नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम का ऐलान कर सकती है। भाजपा नए अध्यक्ष के लिए 6 नामों पर मंथन कर रही है, इनमें केंद्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, मनोहर लाल खट्टर, भूपेंद्र यादव और धर्मेंद्र प्रधान शामिल हैं। वहीं, भाजपा महासचिव सुनील बंसल और विनोद तावड़े भी रेस में बताए जा रहे हैं।
भाजपा अध्यक्ष की दौड़ में दक्षिण की सुषमा स्वराज कही जाने वालीं डी. पुरंदेश्वरी लिस्ट में इकलौती महिला हैं। भाजपा जॉइन करने से पहले पुरंदेश्वरी कांग्रेस में थी। भाजपा की सरकार में आंध्रप्रदेश से अलग तेलंगाना बना, तो उन्होंने कांग्रेस छोड़ दी। 2014 में लोकसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा में आ गईं। पुरंदेश्वरी भाजपा में शामिल तेलुगु देशम पार्टी के चीफ चंद्रबाबू नायडू की पत्नी की बहन और आंध्र प्रदेश के एनटी रामाराव की बेटी हैं। पुरंदेश्वरी आंध्रप्रदेश की अलग-अलग सीटों से तीन बार सांसद चुनी गई हैं। दो बार कांग्रेस के टिकट पर जीतीं और अभी भाजपा की सांसद हैं।
भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने के लिए तीन मुख्य बातों-संगठनात्मक अनुभव, क्षेत्रीय संतुलन, जातीय समीकरण को ध्यान में रख रही हैं। जल्द ही राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के लिए एक केंद्रीय चुनाव समिति का गठन हो सकता है। यदि चुनाव की जरूरत पड़ती है तो यह समिति नामांकन, जांच और मतदान की प्रक्रिया की पूरी करेगी।
पार्टी के नियम के अनुसार भाजपा अध्यक्ष का कार्यकाल तीन साल का होता है। एक व्यक्ति 2 बार से अधिक पार्टी का अध्यक्ष नहीं बन सकता। ऐसे में अब पार्टी के नए अध्यक्ष को 12 अहम चुनाव अपने कार्यकाल में कराने होंगे।
पहला: किसी ऐसे लीडर को अध्यक्ष बनाने का है, जो संगठन चलाने में माहिर हो, संघ बैकग्राउंड का हो और चुनावी रणनीति में खुद को साबित कर चुका हो। ऐसा इसलिए क्योंकि आगे पंजाब, पश्चिम बंगाल, बिहार और यूपी जैसे महत्वपूर्ण राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
दूसरा: नया अध्यक्ष साउथ इंडिया से हो। बीते 20 साल से कोई दक्षिण भारतीय नेता भाजपा का अध्यक्ष नहीं बना है। दक्षिण अब भी भाजपा के लिए अभेद है, जिसे अगले लोकसभा चुनाव में भेदने की तैयारी है। अगले तीन साल में तमिलनाडु, केरल, कर्नाटक और तेलंगाना जैसे बड़े राज्यों में चुनाव होने हैं। साउथ इंडिया के लीडर को अध्यक्ष बनाने से यहां भाजपा को मदद मिलेगी।