मध्यप्रदेश सरकार योजनाओं के संचालन और विकास कार्यों के लिए कर्ज पर कर्ज ले रही है। वहीं जिम्मेदार अफसर-कर्मचारी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। आए दिन अफसरों और कर्मचारियों के करप्शन उजागर हो रहे हैं। राज्य सरकार जहां कर्ज के बोझ तले दबी जा रही है। मध्यप्रदेश में बजट से ज्यादा कर्ज हो गया है।
By: Arvind Mishra
Jul 24, 20252:05 PM
मध्यप्रदेश सरकार योजनाओं के संचालन और विकास कार्यों के लिए कर्ज पर कर्ज ले रही है। वहीं जिम्मेदार अफसर-कर्मचारी अपनी आदतों से बाज नहीं आ रहे हैं। आए दिन अफसरों और कर्मचारियों के करप्शन उजागर हो रहे हैं। राज्य सरकार जहां कर्ज के बोझ तले दबी जा रही है। मध्यप्रदेश में बजट से ज्यादा कर्ज हो गया है। वित्त विभाग खर्च पर लगाम लगाने में जुटा है। वहीं, पंचायत और जनपद पंचायत में अफसर बिल के नाम पर लाखों रुपए खेला कर रहे हैं। इससे जनता के साथ ही साथ स्थानीय जनप्रतिनिधियों में आक्रोश पनप रहा है। अब सभी घोटालों की फाइल सीएम डॉ. मोहन यादव तक पहुंच गई है। सरकार ने ऊपर से नीचे तक अफसरों से रिपोर्ट तलब की है। इससे मंत्रालय के साथ जिलों में भी हड़कंप मच गया है। सरकार के निशाने पर भोपाल, मऊगंज, शहडोल, डिंडोरी के अफसर आ गए हैं।
सीएम डॉ. मोहन यादव ने भोपाल से लेकर जिला स्तर पर बैठे अफसरों को साफ शब्दों में कह दिया है कि मप्र में विकास के नाम पर भ्रष्टाचार नहीं चलेगा। जिन-जिन जिलों में अफसरों का करप्शन उजागर हुआ है, सभी से पाई-पाई की वसूली की जाएगी। यही नहीं, सरकार एफआईआर भी दर्ज कराएगी।
गत 13 दिसंबर 2024 को एमपी के 8वें टाइगर रिजर्व के रूप में भोपाल के रातापानी टाइगर रिजर्व का लोकार्पण किया गया था। इस दौरान एक बाइक रैली का भी आयोजन किया गया था। जहां वन विभाग ने एक घंटे के कार्यक्रम में 27 लाख खर्च कर दिए गए। अकेले बाइक में पेट्रोल डलवाने के नाम पर 7 लाख खर्च बताया गया। जबकि भोजन व्यवस्था पर करीब 11.50 लाख का बिल बनाया गया। वहीं 2.36 लाख रुपए हेलमेट पर खर्च कर दिए गए। दरअसल,इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव भी शामिल होने पहुंचे थे। खास बात यह है कि रातापानी टाइगर रिजर्व के लोकार्पण के नाम पर इतनी मोटी रकम खर्च की गई जबकि रातापानी टाइगर रिजर्व भोपाल वनमंडल का हिस्सा ही नहीं है।
मध्य प्रदेश के मऊगंज जिले से भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है। 17 अप्रैल को जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत हुए एक कार्यक्रम में मंत्री प्रह्लाद सिंह पटेल शामिल होने आए थे। मंत्री के 40 मिनट के एक कार्यक्रम के लिए 10 लख खर्च कर दिए गए, वो भी बिजली दुकान के बिल पर। खाने-पीने और टेंट के सामान के नाम पर अलग-अलग बिल से भुगतान होना चाहिए था। लेकिन जनपद के प्रभारी सीईओ रामकुशल मिश्रा ने नियम ताक पर रख सभी भुगतान कर दिया। यहां चौंकाने वाली बात यह है कि नोटशीट के अनुसार, कार्यक्रम के लिए सिर्फ 2.54 लाख की मंजूरी थी, लेकिन उक्त राशि निकाल ली गई। इस पर मऊगंज कलेक्टर ने जांच बैठा दी। जांच के लिए रीवा जिला पंचायत की टीम पहुंची तो प्रभारी सीईओ रामकुशल ने कोई रिकॉर्ड नहीं दिया। अफसरों को यह कहकर रवाना कर दिया कि दो दिन में सभी रिकॉर्ड पेश कर दूंगा।
शहडोल में शिक्षा विभाग का बड़ा घोटाला सामने आया है। यहां दो स्कूलों में सिर्फ 24 लीटर पेंट पोतने के लिए 443 लेबर और 215 मिस्त्री लगे। 4704 रुपए के इस पेंट को पोतने का 3.38 लाख खर्च का भुगतान किया गया। इन बिलों की कॉपी सामने आने के बाद विवाद बढ़ गया है। ये कारनामा ब्यौहारी स्थित दो सरकारी स्कूलों में किया गया है। इधर मामला सामने आने के बाद शिक्षा मंत्री राव उदय प्रताप ने सकंदी के प्राचार्य सुग्रीव शुक्ला को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने के आदेश दिए। हाई स्कूल सकन्दी में सिर्फ 4 लीटर आॅयल पेंट की खरीद की गई थी, जिसकी कीमत 784 रुपए बताई गई है यानी 196 रुपए प्रति लीटर। लेकिन इस पेंट को दीवार में लगाने के लिए 168 मजदूरों और 65 मिस्त्रियों को काम पर लगाया गया। इनको 1,06,984 रुपए का भुगतान किया गया।
डिंडोरी में बीड़ी के धुएं का गुबार उड़ाने वाला भ्रष्टाचार सामने आया है। समनापुर जनपद पंचायत ने 10 कट्टे बीड़ी के बंडल के बिल लगाया है। 10 फरवरी को 3700 रुपए का बिल पास भी करवा लिया। इतना ही नहीं, कुल 11 सामान मंगाए और बिल 14320 रुपए लगाए। इसमें पोहा, चिरौंजी और फलीदाना भी है। अफसरों की हदें यहीं कम नहीं हुईं। 12 लड्डू के बिल 1440 रुपए लगाए। यानी, एक लड्डू 120 रुपए का खाया।
मध्यप्रदेश के शहडोल में सरकारी धन के दुरुपयोग करने का दूसरा केस सामने आया। जिले में जल गंगा संवर्धन अभियान के जिला स्तरीय कार्यक्रम में अफसर एक घंटे के दौरान 14 किलो ड्राईफ्रूट खा गए। वहीं 6 लीटर दूध में 5 किलो शक्कर डालकर चाय भी बनाई गई। कार्यक्रम 25 मई को भदवाही ग्राम पंचायत में हुआ था। अफसरों के स्वागत स्तकार में ग्राम पंचायत ने कोई कसर नहीं छोड़ी। 5 किलो काजू, 6 किलो बादाम और 3 किलो किशमिश खिलाने के नाम पर 19010 रुपए का भुगतान करवा लिया। अफसरों को चाय पिलाने के लिए 6 लीटर दूध और उसमें मिलाने के लिए 5 किलो शक्कर भी खरीदी गई। उसी बिल में 30 किलो नमकीन, 20 पैकेट बिस्कुट, 5 किलो शक्कर और 6 किलो दूध पर 19 हजार 10 रुपए व्यय किए गए। 25 मई 2025 को ग्राम पंचायत द्वारा एक और बिल लगाया गया। इसमें काजू के दाम में गिरावट देखी गई। जिस बिल में गोविंद गुप्ता किराना स्टोर ग्राम भरी से 5 किलो काजू लाया गया, उसमें काजू की कीमत प्रति किलो 1000 रुपए दर्शाई गई। इसी तारीख को सुरेश तिवारी टी स्टॉल चुहिरी से एक किलो काजू मात्र 600 रुपए में खरीद लिया गया। इसके अलावा 10 रुपए वाले 50 रसगुल्ले भी अफसरों के लिए खरीदे गए। इसे 500 की जगह बिल में 1000 रुपए जोड़कर दाम बढ़ाया गया।
देश की राजधानी दिल्ली के सबसे मंहगे बाजार कनॉट प्लेस में एक समोसे की अधितकम कीमत 25 रुपए है। यहां ये जानकर हैरानी होगी कि दिल्ली से भी मंहगा समोसा मध्यप्रदेश के अनूपपुर में मिल रहा है। यहां 4 जुलाई को सीएम डॉ. मोहन यादव का कोतमा में प्रस्तावित कार्यक्रम के लिए बकेली गांव से 60 लोगों को ले जाने के एवज में पंचायत सचिव अमित प्रताप सिंह ने एक समोसे की कीमत 40 रुपए बताकर बिल पास भी करवा लिया। इस बिल की चर्चा शहडोल संभाग से लेकर राजधानी भोपाल तक है। सचिव ने अनूपपुर के कोतमा रोड स्थित होटल रामेश्वरम का 60 लोगों के लिए 60 समोसा 2 हजार 4 सौ रुपए और चाय व पानी का दस-दस रुपए की दर से 12 सौ रपुए मिलाकर 3 हजार 6 सौ रुपए सरकारी खजाने से निकाल लिए।
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