उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव की मां अंबी बिष्ट सहित पांच लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर साल 2016 के जानकीपुरम जमीन घोटाले में दर्ज की गई है। यह कार्रवाई विजिलेंस की खुली जांच में दोषी पाए जाने के बाद की गई।
By: Arvind Mishra
Sep 19, 202510:36 AM
लखनऊ। स्टार समाचार वेब
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में यूपी महिला आयोग की उपाध्यक्ष अपर्णा यादव की मां अंबी बिष्ट सहित पांच लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है। यह एफआईआर साल 2016 के जानकीपुरम जमीन घोटाले में दर्ज की गई है। यह कार्रवाई विजिलेंस की खुली जांच में दोषी पाए जाने के बाद की गई। मामला लखनऊ की प्रियदर्शिनी योजना में भूखंड आवंटन में गड़बड़ी से संबंधित है। आरोपी अंबी बिष्ट की बेटी अपर्णा यादव, अखिलेश यादव के सौतेले भाई प्रतीक यादव की पत्नी हैं। अपर्णा मौजूदा वक्त में भाजपा का हिस्सा हैं। दरअसल, विजिलेंस ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (लविप्रा) की प्रियदर्शनी योजना के तहत भूखंड आवंटन में अनियमितता केस में सपा संस्थापक स्व. मुलायम सिंह यादव की समधन अंबी बिष्ट समेत अन्य के विरुद्ध एफआईआर दर्ज की है। अंबी बिष्ट लविप्रा की तत्कालीन संपत्ति अधिकारी हैं। वह मुलायम सिंह यादव के छोटे बेटे प्रतीक यादव की सास हैं।
विजिलेंस ने केस में खुली जांच में अंबी बिष्ट के अलावा तत्कालीन अनुभाग अधिकारी वीरेन्द्र सिंह, उप सचिव देवेन्द्र सिंह राठौर, वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट सुरेश विष्णु महादाणे व अवर वर्ग सहायक शैलेन्द्र कुमार गुप्ता के दोषी पाए जाने पर भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम व अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।
शासन ने लखनऊ में प्रियदर्शनी/जानकीपुरम योजना के भूखंडों के आवंटन में परिवर्तन कर उनके पंजीकरण में अनियमितताएं बरते जाने की शिकायत पर वर्ष 2016 में विजिलेंस की खुली जांच का निर्देश दिया था। लविप्रा के तत्कालीन लिपिक स्वर्गीय मुक्तेश्वर नाथ ओझा की भूमिका को लेकर खुली जांच शुरू की गई थी। जांच में अनयमितता में लविप्रा के अन्य आरोपी कर्मचारियों की भूमिका भी सामने आए।
जांच में सामने आया कि तत्कालीन अनुभाग अधिकारी वीरेन्द्र सिंह के हस्ताक्षर से भूखंड कब्जा पत्र जारी किए गए व नोटिंग पर भी हस्ताक्षर पाए गए। तत्कालीन उपसचिव देवेन्द्र सिंह के हस्ताक्षर से आवंटियों को आवंटन पत्र जारी किए गए, नोटिंग पर हस्ताक्षर पाए गए। तत्कालीन संपत्ति अधिकारी अंबी बिष्ट के निबंधन प्रस्ताव व रजिस्ट्री विक्रय विलेख व नोटिंग पर हस्ताक्षर पाए गए। तत्कालीन वरिष्ठ कास्ट अकाउंटेंट व उनके सहायक तत्कालीन अवर वर्ग सहायक शैलेन्द्र कुमार गुप्ता ने स्व. मुक्तेश्वर नाथ ओझा के साथ साजिश में शामिल होकर फर्जी अभिलेखों के आधार पर भूखंडों की गणना कर मूल्य तय किया गया।