मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में अपनी सेवाएं दे रहे दैवेभो को लेकर राज्य सरकार सख्त फैसला लेने जा रही है। सरकार इस फैसले से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे युवाओं की उम्मीदें बढ़ गई हैं। विभाग ने 28 मार्च 2000 के बाद नियुक्त किए गए सभी दैवेभो की जानकारी 25 अक्टूबर तक अनिवार्य रूप से भेजने के निर्देश दिए हैं।
By: Arvind Mishra
Oct 10, 20252:03 PM
भोपाल। स्टार समाचार वेब
मध्यप्रदेश के नगरीय निकायों में अपनी सेवाएं दे रहे दैवेभो को लेकर राज्य सरकार सख्त फैसला लेने जा रही है। सरकार इस फैसले से प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुटे युवाओं की उम्मीदें बढ़ गई हैं। दरअसल, प्रदेश के निकायों में 25 साल पहले बंद हो चुकी दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की नियुक्ति व्यवस्था को दरकिनार करते हुए कई जगहों पर नियुक्तियां की गई हैं। मामला उजागर होने के बाद नगरीय विकास और आवास विभाग ने सभी निकायों के जिम्मेदार अफसरों से विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। विभाग ने 28 मार्च 2000 के बाद नियुक्त किए गए सभी दैवेभो की जानकारी 25 अक्टूबर तक अनिवार्य रूप से भेजने के निर्देश दिए हैं। साथ ही यह भी जानकारी मांगी है कि इन कर्मचारियों की नियुक्ति के समय कौन अधिकारी (आयुक्त या मुख्य नगर पालिका अधिकारी) पदस्थ था और क्या राज्य शासन से इस संबंध में कोई अनुमति ली गई थी।
नगरीय विकास और आवास विभाग के उप सचिव ने जारी आदेश में स्पष्ट कहा है कि दैनिक वेतन पर किसी भी प्रकार की नियुक्ति पर पूरी तरह प्रतिबंध है। वित्त विभाग ने 28 मार्च 2000 को जारी आदेश में यह साफ किया था कि यह प्रतिबंध सार्वजनिक उपक्रम, निगम, मंडल, नगरीय निकाय, विकास प्राधिकरण और अन्य सरकारी संस्थानों पर समान रूप से लागू होगा। इसके बावजूद हाल में वित्त विभाग के संज्ञान में यह बात आई है कि कई नगरीय निकायों ने नियमों की अनदेखी करते हुए दैनिक वेतन पर कर्मचारियों को नियुक्त किया है। ये सरकार के निर्देशों का सीधा उल्लंघन है।
बताया जाता है कि विभाग को भेजी जाने वाली जानकारी के बाद सभी नियुक्तियों को अवैध करार दिया जा सकता है और नियुक्ति देने वाले अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की जा सकती है।