प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी7 सम्मेलन में भारत के 4 ए दृष्टिकोण (उपलब्धता, पहुंच, वहनीयता, स्वीकार्यता) के जरिए ऊर्जा सुरक्षा पर जोर दिया।
By: Sandeep malviya
Jun 18, 202511:10 PM
कनानास्किस (कनाडा) । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी7 सम्मेलन में भारत के 4 ए दृष्टिकोण (उपलब्धता, पहुंच, वहनीयता, स्वीकार्यता) के जरिए ऊर्जा सुरक्षा पर जोर दिया। उन्होंने एआई को उपयोगी लेकिन ऊर्जा-खपत वाली तकनीक बताया और इसे इसे टिकाऊ बनाने की जरूरत पर जोर दिया। साथ ही, मानव-केंद्रित तकनीक और वैश्विक सहयोग की बात कही। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जी7 आउटरीच सत्र को संबोधित किया। इस सत्र का विषय था - 'ऊर्जा सुरक्षा: विविधता, तकनीक और बुनियादी ढांचा ताकि बदलती दुनिया में पहुंच और वहन क्षमता सुनिश्चित की जा सके।' इस दौरान पीएम मोदी ने बताया कि भारत का तकनीक के प्रति दृष्टिकोण मानवीय केंद्रित है। उन्होंने ऊर्जा सुरक्षा को लेकर भारत के 4ए सिद्धांतों पर जोर दिया। विदेश मंत्रालय ने बुधवार को एक बयान में यह जानकारी दी।
कार्नी को आमंत्रण के लिए दिया धन्यवाद
आमंत्रण के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने कनाडाई समकक्ष मार्क कार्नी को धन्यवाद दिया और जी7 समूह को उसकी 50वीं वर्षगांठ पर बधाई दी। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि ऊर्जा सुरक्षा आने वाली पीढ़ियों के लिए सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।
पीएम मोदी ने बताया भारत का 4ए दृष्टिकोण
विदेश मंत्रालय के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी ने 4ए दृष्टिकोण विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि भारत की समावेशी विकास की प्रतिबद्धता उपलब्धता, पहुंच, वहनीयता और स्वीकार्यता जैसे चार सिद्धांतों पर आधारित है। उन्होंने यह भी कहा कि भले ही भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती बड़ी अर्थव्यवस्था है, लेकिन उसने पेरिस समझौते के लक्ष्यों को समय से पहले ही पूरा कर लिया है।
'कौशल - नवाचार बढ़ाने का उपकरण बन चुका एआई'
सम्मेलन में प्रधानमंत्री ने नई तकनीकों से जुड़ी चुनौतियों का भी जिक्र किया। प्रधानमंत्री मोदी ने तकनीक, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) और ऊर्जा के आपसी संबंधों पर बात की। उन्होंने कहा कि जहां एआई, कौशल और नवाचार बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण उपकरण बन चुका है, वहीं यह खुद भी ऊर्जा की खपत करता है। इसलिए यह जरूरी है कि हम इसे स्वच्छ और हरित तरीकों से टिकाऊ बनाएं।
'मानव केंद्रित हो तकनीकी दृष्टिकोण'
भारत के मानव केंद्रित तकनीकी दृष्टिकोण पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि कोई भी तकनीक तब ही प्रभावी होती है, जब वह आम लोगों के जीवन को बेहतर बनाए। उन्होंने कहा कि एआई से जुड़ा वैश्विक शासन (गवर्नेंस) एक अहम मुद्दा है, जिसे हल करना जरूरी है, ताकि नवाचार को बढ़ावा मिले। विदेश मंत्रालय के बयान में यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि एआई के दौर में महत्वपूर्ण खनिजों की सुरक्षित और लचीली आपूर्ति श्रृंखला (सप्लाई चेन) होना जरूरी है। साथ ही उन्होंने कहा कि भारत में मौजूद विविध और उच्च गुणवत्ता वाला डाटा जिम्मेदार एआई के लिए जरूरी हैं।
भारत ने शुरू कीं कई वैश्विक पहलें
पीएम मोदी ने कहा कि तकनीक-आधारित दुनिया में सतत विकास के लिए देशों को मिलकर काम करना होगा और इसके लिए लोगों को प्रगति के केंद्र में रखना होगा। प्रधानमंत्री ने दुनिया के सामने भारत की हरित और टिकाऊ भविष्य की प्रतिबद्धता को लेकर बताया कि भारत ने अंतर्राष्ट्रीय सौर गठबंधन, आपदा-रोधी बुनियादी ढांचा गठबंधन, वैश्विक जैव ईंधन, मिशन लाइफ , वन सन-वन वर्ल्ड-वन ग्रिड जैसी कई वैश्विक पहलें शुरू की हैं। उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से इन पहलों को और मजबूत करने की अपील की।