बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण में अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मुकदमा शुरू हो गया है। अंतरिम सरकार ने उन पर मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया है। हसीना पर छात्रों के आंदोलन को हिंसक तरीके से दबाने का आरोप है।
By: Sandeep malviya
Aug 03, 2025just now
ढाका। बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी) ने रविवार को अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ मानवता के खिलाफ मुकदमा शुरू कर दिया है। यह मुकदमा उनकी गैरमौजूदगी में चल रहा है। मामला 2024 में छात्रों के नेतृत्व वाले विरोध प्रदर्शनों को हिंसक तरीके से दबाने से जुड़ा है। अंतरिम सरकार ने उन पर मानवता के खिलाफ अपराध करने का आरोप लगाया है।
अंतरिम सरकार की ओर से नियुक्त मुख्य अभियोजक तजुल इस्लाम ने अपनी शुरूआती दलील में शेख हसीना को 'सभी अपराधों की जड़' बताया और उनके लिए अधिकतम सजा की मांग की। अभियोजन पक्ष ने इस मामले में हसीना के दो मुख्य सहयोगियों के नाम भी शामिल किए हैं। इनमें पूर्व गृह मंत्री असादुज्जमान खान कमाल और पूर्व पुलिस महानिरीक्षक चौधरी अब्दुल्ला अल ममून शामिल हैं।
आईसीटी ने हसीना पर कई आरोपों के आधार पर कार्यवाही शुरू की है। सबसे बड़ा आरोप यह है कि उन्होंने छात्र आंदोलन को दबाने के लिए हत्या और उत्पीड़न जैसी कार्रवाइयां कीं। यह आंदोलन इतना बड़ा हो गया था कि पांच अगस्त 2024 को उनकी आवामी लीग सरकार गिर गई थी। जहां शेख हसीना और कमाल पर गैरमौजूदगी में मुकदमा चल रहा है। वहीं ममून को हिरासत में लिया गया है और उन्होंने इस मामले में सरकारी गवाह बनने पर सहमति दी है। अभियोजन पक्ष ने कहा कि आने वाले दिनों में वह ऐसे लोगों को गवाह के रूप में पेश करेगा, जो विरोध प्रदर्शन के दौरान घायल हुए थे या जिन्होंने हिंसा को अपनी आंखों से देखा था।
शेख हसीना ने पांच अगस्त 2024 को बांग्लादेश छोड़ दिया था, जब देश में अशांति बढ़ती जा रही थी। फिलहाल वह भारत में रह रही हैं। खबरों के अनुसार, पूर्व गृहमंत्री कमाल भी बाद में भारत में शरण ले चुके हैं। मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने भारत से शेख हसीना को वापस भेजने (प्रत्यर्पण) की मांग की है। हालांकि, भारत की ओर से अब तक कोई जवाब नहीं आया है।
आईसीटी की स्थापना मूल रूप से 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम से जुड़े युद्ध अपराधों की सुनवाई के लिए की गई थी। इस न्यायाधिकरण ने 10 जुलाई को हसीना, कमाल और ममून पर आरोप तय किए थे। पिछले महीने हसीना को आईसीटी ने अदालत की अवमानना के मामले में छह महीने की सजा भी सुनाई थी। यह पहली बार था जब 77 वर्षीय अवामी लीग नेता शेख हसीना को किसी भी मामले में सजा सुनाई गई, जबसे उन्होंने अगस्त 2024 में प्रधानमंत्री पद छोड़ा। संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार कार्यालय की एक रिपोर्ट के अनुसार, 15 जुलाई से 15 अगस्त 2024 के बीच हसीना के शासन की ओर से प्रदर्शनकारियों पर की गई सख्त कार्रवाई में लगभग 1,400 लोग मारे गए थे।