कांग्रेस पार्टी में अध्यक्ष पद की घोषणा के बाद बगावत तेज़ हो गई है। पहले मुस्लिम नेताओं ने विरोध जताया और अब विंध्य के ब्राम्हण नेताओं ने रीवा में चिंतन बैठक कर अपनी नाराज़गी जताई। नेताओं ने ऐलान किया है कि वह राहुल गांधी से मिलकर राजनीतिक हिस्सेदारी की मांग करेंगे। यह विरोध कांग्रेस की मुश्किलें और बढ़ा सकता है।
By: Yogesh Patel
Sep 07, 2025just now
हाइलाइट्स
रीवा, स्टार समाचार वेब
कांग्रेस में अध्यक्ष पद की घोषणा के बाद बगावत है कि रुक ही नहीं रही। पहले मुस्लिम नेताओं ने नाराजगी जताई और पार्टी से किनारा कर लिया। अब रही सही कसर ब्राम्हण नेताओं ने पूरी कर दी है। शनिवार को विंध्य भर से कांग्रेस के ब्राम्हण नेता रीवा में एकजुट हुए। चिंतन बैठक हुई। बैठक में ब्राम्हण नेताओं ने अध्यक्ष पद के चयन में की गई उपेक्षा पर नाराजगी जताई। साथ ही हुंकार भरी की कि वह अपना हक लेकर रहेंगे। भोपाल से लेकर दिल्ली तक लड़ेंगे। राहुल गांधी से मिलकर बात रखेंगे। ब्राम्हण नेताओं ने तय किया है कि वह नई कांग्रेस सरकार खुद बनाएंगे। ब्राम्हणों के विरोध से कांग्रेस पार्टी अंदर से हिल गई है। यह विरोध की आग अभी और तेज होने वाली है।
रीवा के समदड़िया होटल में विप्र चिंतन बैठक का आयोजन किया गया। इस बैठक का आयोजन कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता गिरीजेश पाण्डेय और विनोद शर्मा ने किया। इस बैठक में रीवा संभाग के रीवा, मऊगंज, सीधी, सिंगरौली, सतना, मैहर जिला के वरिष्ठ कांग्रेस के नेता सम्मलित हुए। एक स्वर से सभी नेताओं ने प्रस्ताव पारित किया कि कांग्रेस पार्टी में राजनीतिक हिस्सेदारी की जो उपेक्षा हो रही है। उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इस मामले को दिल्ली हाई कमान राहुल गांधी तक ले जाएंगे। ब्राम्हण नेताओं ने कहा कि तीनों लोकसभा के अंदर राजनीतिक हिस्सेदारी हासिए पर डालना पूरे समाज को उपेक्षित करने के बराबर है। ब्राम्हण नेताओं ने आरोप लगाया कि जिस तरह से संगठन सृजन अभियान के तहत कांग्रेस पार्टी ने पूरे विप्र समाज को अंधेरे में रखकर अपना निर्णय थोपा है, वह चिंतनीय है और स्वीकार योग्य नहीं है।
चिंतन बैठक में वरिष्ठ चिंतकों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि आने वाले दिनों में कांग्रेस पार्टी के लिए काफी कठिनाई व परेशानी के दिन आने वाले हैं। जिस तरह से पूरे विप्र समाज को किनारे कर कार्य किया जा रहा है। वह कदाचित स्वीकार योग्य नहीं है। पूरा समाज आक्रोशित है। शीघ्र ही यह बात कांग्रेस पार्टी के जिम्मेदार पदाधिकारियों तक पहुंचाने पर भी राय बनी है। कार्यक्रम में गिरिजेश पाण्डेय और विनोद शर्मा ने सभी ब्राम्हण नेताओं को विप्र सम्मान से सम्मानित भी किया। बैठक में यह तय हुआ कि सभी के विचारों को संकलित करके नई रणनीति बनाने की तैयारी की जाएगी। आने वाले समय में ब्राह्मणों के आस्तित्व के लिए संघर्ष किया जाएगा। नेताओं ने कहा कि कांग्रेस पार्टी को विजय दिलाने के लिए पूरे समाज को एकत्रित होकर लड़ाई लड़नी पड़गी। ब्राम्हण समाज को जिस तरह से वर्तमान में उपेक्षित किया जा रहा है। इससे खुद को ऊपर उठाने के लिए ब्राम्हणों को ही कांग्रेस सरकार बनाने के लिए लड़ना पड़ेगा।
बैठक में यह नेता रहे मौजूद
ब्राम्हण समाज की इस बैठक मेंं प्रमुख रूप से लक्ष्मण तिवारी पूर्व विधायक, सतना के निवर्तमान जिला अध्यक्ष दिलीप मिश्रा, रामपुर बघेलान के कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी रहे रामशंकर, कविता पाण्डेय, चुरहट से ओम प्रकाश अग्निहोत्री, पटेहरा से शिव कुमार मिश्रा, अमित द्विवेदी, देवेन्द्र दुबे, दरोगा पाठक, कर्म सिंधु परिया, विनोद मिश्रा, सीधी से एक मात्र कांग्रेस पार्टी के निर्वाचित ब्राम्हण प्रतिनिधि गणेश पाण्डेय, रवि शर्मा , विजेन्द्र शुक्ला, दिनेश नारायण पीड़िया, विपिन पाण्डेय, महेन्द्र उपाध्याय, महीपत शुक्ला, राजेन्द्र मिश्रा, सतना से अखिल मिश्रा, मैहर से प्रभात द्विवेदी, सहित सवा सौ ब्राम्हण समाज के कांग्रेस पार्टी के नेता मौजूद रहे।
इस बात से हैं खफा
संभाग के 9 जिला और शहर अध्यक्षों में 4अध्यक्ष ब्राम्हण समाज से थे। इस बार मात्र 1 को ही स्थान दिया गया। इसी तरह 23 विधानसभा क्षेत्रों में पहले जहां 12 से 13 सीटों पर ब्राम्हण प्रत्याशी हुआ करते थे। वहीं अब इसकी संख्या घटकर सिर्फ 5 रह गई है। इस असंतुलन को लेकर ही ब्राम्हण नेता विरोध में उतर आए हैं।
रीवा संभाग में सिर्फ एक ही ब्राम्हण नेता बचा, इससे हैं खफा
कांग्रेस ने हाल ही में संठगन श्रृजन अभियान के तहत सभी जिलों के नए जिला अध्यक्षों की घोषणा की है। इस घोषणा के बाद से ही विरोध के स्वर फूट पड़े हैं। सभी जिलों में नए अध्यक्ष कांग्रेस पार्टी के नेताआें को हजम नहीं हो रहे हैं। सतना, रीवा में विरोध तेज हो गया है। ब्राम्हण समाज कांग्रेस पार्टी में उपेक्षा से नाराज हैं। उनका कहना है कि पहले संभाग में चार ब्राम्हण थे। अब घटकर सिर्फ एक रह गए हैं। पहले मऊगंज से पद्मेश गौतम, सतना से दिलीप मिश्रा, सिंगरौली से ज्ञानेन्द्र द्विवेदी, रीवा से राजेन्द्र शर्मा अध्यक्ष थे। अब रीवा में राजेन्द्र शर्मा तो हैं लेकिन ग्रामीण अध्यक्ष अशोक पटेल झब्बू को बना दिया गया है। इसी तरह सतना शहर अध्यक्ष आरिफ इकबाल सिद्दीकी, ग्रामीण अध्यक्ष सिद्धार्थ कुशवाहा को बनाया गया है। सीधी में ज्ञान प्रताप सिंह, सिंगरौली सिटी में प्रवीण सिंह चौहान को शहर और सरस्वती सिंह मरकाम को ग्रामीण अध्यक्ष बनाया गया है। वहीं नए जिले मऊगंज में हरिलाल कोल और मैहर में धर्मेश घई को जिला अध्यक्ष नियुक्त किया गया है।
मुस्लिम नेता पहले ही बढ़ा रहे थे टेंशन
कांग्रेस जिला अध्यक्षों की घोषणा के बाद रीवा शहर और ग्रामीण अध्यक्ष की टेंशन पहले ही बढ़ गई थी। मुस्लिम नेताओं ने हल्ला ही बोल दिया है। पहले मुस्लिम नेताओं ने बैठक कर रणनीति बनाई। इसके बाद भोपाल तक दौड़ लगा दी। भोपाल पहुंच कर पार्टी के वरिष्ठ नेताओं के सामने भी अपनी बातें रखीं। अभी विरोध ठंडा नहीं हुआ है। अध्यक्ष पद के चयन को लेकर मुस्लिम नेता नाराज चल रहे हैं। इसके बाद अब ब्राम्हण नेताओं का एक छत के नीचे जुटना कांग्रेस पार्टी की मुस्किलें बढ़ाने के लिए काफी है।
एक दिन पहले ही डैमेज कंट्रोल के लिए नेता प्रतिपक्ष को बुलाए थे
विरोध की आग धीरे धीरे सुलग रही है। वह अंदर ही अंदर कांग्रेस पार्टी को काफी नुकसान पहुंचाने वाली है। इसकी जानकारी जिला और ग्रामीण अध्यक्ष को भी है। यही वजह है कि इस विरोध को शांत करने और डैमेज कंट्रोल करने के लिए ग्राीमण अध्यक्ष ने चुरहट की दौड़ लगाई थी। उन्होंने पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह राहुल से मुलाकात की थी। उन्हें वस्तु स्थिति से अवगत कराया था। इसेक बाद ही अजय सिंह राहुल रीवा आए। उन्होंने कांग्रेस के कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों की एक बैठक ली। सभी को एकता का पाठ भी पढ़ाया लेकिन दूसरे दिन पूरे विंध्य के कांग्रेस ब्राम्हण नेता एक छत के नीचे एकजुट हो गए। एकता का पढ़ाया पाठ सब बेकार चला गया।