सतना स्थित ईएसआई अस्पताल में चिकित्सकों की भारी कमी के चलते करीब 2 लाख मरीजों का इलाज केवल एक डॉक्टर के भरोसे हो रहा है। महिलाओं के लिए स्त्री रोग विशेषज्ञ की अनुपलब्धता और एम्बुलेंस सुविधा के अभाव से श्रमिक मरीजों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
By: Star News
Jul 11, 202544 minutes ago
सतना, स्टार समाचार वेब
केंद्र सरकार द्वारा श्रमिकों और उन पर आश्रित मरीजों के इलाज के लिए शुरू की गई महत्वपूर्ण योजना कर्मचारी राज्य बीमा (ईएसआई) दम तोड़ते नजर आरही है। हर माह श्रमिकों से इलाज के नाम पर अंशदान लेने वाला ईएसआई अस्पताल आज खुद बीमार है। अस्पताल में कई चिकित्स्कीय सुविधाओं का आभाव है। स्थानीय बिरला रोड स्थित ईएसआई अस्पताल के सतना केंद्र में जिले के लगभग 2 लाख मरीज अस्पताल में उपलब्ध एक चिकित्सक के भरोसे इलाज करने को मजबूर हैं। अस्पताल में कई वर्षों से चिकित्सकों की पोस्ट खाली है, जोकि आज तक नहीं भरी। ईएसआई अस्पताल में स्त्री रोग विषेशज्ञ न होने से महिलाओं को निजी अस्पताल का रुख करना पड़ रहा है। चिकित्सकों के आभाव में वर्तमान में स्थिति अब ऐसी हो गई है अस्पताल अब मरीजों के रेफर करने का केंद्र बन गया है। कई जिलों के श्रमिक इलाज कराने सतना केंद्र में आश्रित हैं बावजूद इसके न तो यहां एम्बुलेंस की सुविधा है और न ही अभी तक बेड की सुविधाएं चालू की गई हैं।
गौरतलब है कि ईएसआई योजना के तहत कई जगह ईएसआई अस्पताल शुरू किये गए हैं, जहां दवा और कैशलेस इलाज की सुविधा उपलब्ध है। कई गंभीर मरीजों को उपचार के लिए हायर सेण्टर रेफर भी किया जाता है जिसका खर्च भी ईएसआई ही उठाती है। कंपनियों में 25 हजार रुपये से कम वेतन पाने वाले सभी कर्मचारियों को राज्य बीमा चिकित्सालय का लाभ मिलने का प्रावधान है।
एक डॉक्टर, 45 हजार आईपी
ईएसआई अस्पताल के सतना केंद्र में बिगत कई वर्षों से एक डॉक्टर की ही उपलब्धता है, जबकि पांच पोस्ट स्वीकृत हैं जो कि रिक्त पड़ी हैं। ईएसआई अंतर्गत जिले में श्रमिक कर्मचारियों यानि इन्स्योर्ड पर्सन (आईपी) की संख्या लगभग 45 हजार आंकी गई है। हर आईपी के अंदर 4 से 5 सदस्य संख्या स्वीकृत की गई है, जिसके हिसाब से लगभग दो लाख उपभोक्ता सतना केंद्र में इलाज कराने आश्रित है। दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इतने मरीजों के बावजूद केंद्र में केवल एक ही डॉक्टर की तैनाती की गई है। केंद्र के डॉक्टर के अवकाश में जाने पर रोटेशन में डॉक्टरों को बुलाया जाता है, जिससे कई प्रशसकीय कार्य प्रभावित होते हैं।
महिला चिकित्सक तक नहीं
अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार ईएसआई अस्पताल में प्रतिदिन ओपीडी में 200 मरीज अपना इलाज कराने पहुंचते हैं जिसमें 100 से अधिक महिलाएं भी रहती हैं। लेकिन स्त्री रोग विशेषज्ञ न होने से महिलाओं को जिला अस्पताल का रुख करना पड़ता है। इसके अलावा अन्य चिकित्सा विषेशज्ञों के न होने पर कई मरीजों को अन्य निजी अस्पतालों का भी सहारा लेना पड़ता है। अस्पताल में कई प्रकार के चिकित्सा विशेषज्ञों के न होने के कारण कई मरीजों को हायर सेंटर या निजी अस्पतालों में रेफर करना पड़ता है। इलाज कराने के लिए ईएसआई अस्पताल के डॉक्टर द्वारा ही रेफर किया जाता है जिसके बाद श्रमिक मरीज को कैशलेस की सुविधा प्राप्त होती है।
न एम्बुलेंस न स्ट्रेचर, जबलपुर के डॉक्टर को चार्ज
ईएसआई अस्पताल में न तो एम्बुलेंस की सुविधा है और ना ही स्ट्रेचर उपलब्ध। गंभीर मरीजों को इलाज के लिए केवल रेफर की ही सुविधा उपलब्ध है। रीवा, मैहर, सीधी, सिंगरोली, पन्ना, छतरपुर आदि जिलों के श्रमिक भी इलाज के लिए ईएसआई के सतना हॉस्पिटल में आने को मजबूर हैं। बड़ी बात यह है कि यहां के मरीजों की बिलिंग संबंधित चार्ज जबलपुर में पदस्थ डॉक्टर के पास है, जिससे जिले के कई मरीजों के बिलिंग भुगतान पेंडिंग है।
ईएसआई अस्पताल में कई जिले के मरीज श्रमिक इलाज करने आते हैं। यहां चार डॉक्टरों की पोस्ट खाली है। सबसे ज्यादा आवश्यकता स्त्री रोग विषेशज्ञ की है ताकि महिलाओं को उचित इलाज हो सके।
डॉ. राहुल पटेल, ईएसआई अस्पताल
महिला चिकित्सक न मिलने के कारण जिला अस्पताल या अन्य अस्पताल जाना मजबूरी है। इसके अलावा भी अन्य रोग विषेशज्ञ न होने के कारण इलाज करने में बड़ी समस्या आती है।
मीनू त्रिपाठी, मरीज
मैं निजी फैक्ट्री में कार्यरत हूं। हर महीने ईएसआई का पैसा भी कटा जाता है, इसके बावजूद भी ईएसआई अस्पताल में इलाज सरल नहीं है।
रविशंकर त्रिपाठी, मरीज
दुर्घटना में हाथ टूट जाने पर यहां आया लेकिन इलाज नहीं मिला। निजी अस्पताल में इलाज कर हाथ में प्लास्टर लगवाना पड़ा। अब कैशलेश फॉर्म के लिए भटकना पड रहा है।
राहुल द्विवेदी, मरीज