सतना में गणेश चतुर्थी का उत्सव धूमधाम से मनाया जा रहा है। बाजारों में गणेश मूर्तियों की खरीदारी के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी। महाराष्ट्र मंडल में 10 दिनों तक चलेगा गणेश उत्सव कार्यक्रम। मूर्तियों की कीमतों में बढ़ोतरी और पंडालों से गुलजार हुआ शहर।
By: Yogesh Patel
Aug 27, 20251 hour ago
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
मंगलवार को तीज त्यौहार के चलते जहां बाजार में रौनक रही वहीं गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या पर शहर की गलियां गणपति बप्पा मोरिया के जयकारों से गूंजती रही। मंगलवार को दुकानों में गणेश मूर्तियों को खरीदने भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। मूर्तिकारों के अलावा शहर के मुख्य बाजार , प्रेम नगर, सिविल लाइन, कृष्ण नगर, सेमरिया चौराहा, बस स्टैंड में दुकानदारों ने पंडाल से गणेश प्रतिमाएं बेची जिसके चलते शहर में खासी चहल-पहल रही और बाजार भीड़ से गुलजार रहा। उधर हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी महाराष्ट्र मंडल द्वारा गणेश उत्सव का आयोजन किया जा रहा है। मंगलवार को महाराष्ट्र मंडल के सदस्यों द्वारा गजानन की मूर्ति कार्यालय में विराजित की गई।आज राजेंद्र नगर गली नंबर 10, गंगाभवानी नगर में पार्क के पास बने महाराष्ट्र मंडल भवन में सुबह 11 बजे से गणेश प्रतिमा स्थापना कार्यक्रम आयोजित होगा। मंगलवार को मंडल द्वारा 10 दिनों तक चलने वाले कार्यक्रमों की रूपरेखा भी बनाई गई। बताया गया कि गणेशोत्सव कार्यक्रम में प्रतिदिन आरती, भजन एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन भी किया जायेगा।
मूर्तियों को अंतिम रूप दे रहे कलाकार
शहर में बाहर से आये और स्थानीय मूर्तिकार मूर्तियों को अंतिम रूप देने में जुटे हैं। स्थानीय मूर्तिकार रेशू दाहिया ने बताया कि कलाकृतियां ही हमारे जीवन का आधार है। इस बार मूर्तियों में महाराष्ट्र की छाप भी छोड़ी गई है। कई मूर्तियों में पीछे बैकग्राउंड को विशेष तर्ज पर तैयार किया गया है। गणेश मूर्तियों में खास तौर पर काली या पिली मिटटी, पैरा और बांस का उपयोग मुख्य तौर पर किया जाता है। उन्होंने कहा कि अभी 15 से 20 मूर्ति की बुकिंग हुई है, बची हुई आगे भी बिक जाएंगी। इनकी शुरूवाती कीमत 1700 रुपए है । उन्होंने कहा कि पिछले साल के मुताबिक इस साल मूर्तियों में 10 फीसदी मंहगाई बढ़ी है। यानि सभी मूर्तियों में 1000 रुपए तक की बढ़ोत्तरी हुई है। इसमें बाहर से मिटटी और रंग मंगाने पर भाड़ा और अन्य खर्च बढ़ जाता है। गार्डन और लाइट खर्च भी देना पड़ता है। व्यापारियों ने कहा कि मंहगाई में दोगुना बृद्धि हुई है। जो मूर्ती पिछले वर्ष 150 रुपए में आती थी वो इस वर्ष 300 रुपए कि मिल रही है। मिटटी, प्राकृतिक रंग और अन्य उत्पादों में भी महंगाई बढ़ी है। प्रतिमाओं को बाहर से लाने पर भाड़ा खर्च बढ़ जाता है और रखरखाव के लिए पंडाल और लाइट का खर्च भी देना पड़ता है।
पूरा बाजार 'जाम'
इधर मंगलवार को हरितालिका तीज के चलते बाजार में हर जगह जाम की स्थित देखी गई। शहर में मेन बाजार, प्रेम नगर, सिविल लाइन, कृष्ण नगर, सेमरिया चौराहा, बस स्टैंड में दुकानदारों ने गणेश प्रतिमा बेचने के लिए लगाए पंडाल को सड़क तक बढ़ा दिया है नतीजतन जाम की स्थित निर्मित हो रही है। मंगलवार को तीज त्यौहार के चलते भीड़ इतनी उमड़ पड़ी कि स्थानीय बाजार की सड़कों में लोगों का चलना तक मुश्किल था।
मूर्तियों का दाम पिछले साल से अधिक है। अभी कम ही बुकिंग हुई है। बाजार में पततिस्पर्धा बढ़ गई है। वैसे तो पूरी मूर्तियां बिक जाती हैं। अगर मूर्तियां नहीं बिकी तो रख रखाव एक बड़ी समस्या और लागत भी नहीं वसूल होगी।
जय वर्मा, दुकानदार
गणेश उत्सव का उत्साह हर साल बढ़ता ही जा रहा है। हम उतना ही स्टॉक लेके आते हैं जितना बिक जाये क्योंकि इनमे वापसी की पालिसी नहीं रहती है।
रोहित बैश, दुकानदार
शहर के अलावा ग्रामीण स्तर में भी गणेश उत्सव की मांग बढ़ी है घरों में विराजने के लिए छोटे गणेश जी की मांग ज्यादा है।
उमा शंकर विश्व कर्मा, दुकानदार