सतना जिले के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को तीन माह बाद भी गणवेश की राशि नहीं मिली। शिक्षा विभाग की देरी से गरीब बच्चे फटे पुराने कपड़ों में स्कूल जाने को मजबूर हैं। 300 रुपये में एक जोड़ी ड्रेस पर भी सवाल उठ रहे हैं।
By: Star News
हाइलाइट्स
सतना, स्टार समाचार वेब
शासकीय स्कूलों में अध्ययनरत बच्चों के लिए शासन द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का उद्देश्य उन्हें शैक्षणिक रूप से सशक्त बनाना है, लेकिन इन योजनाओं के क्रियान्वयन में हो रही देरी बच्चों के लिए परेशानी का कारण बन रही है। जिले के सरकारी स्कूलों में नए शैक्षणिक सत्र की शुरूआत अप्रैल माह में हो चुकी है, लेकिन तीन माह बीत जाने के बाद भी अब तक छात्रों को गणवेश नहीं मिल पाई है। मजबूरन विद्यार्थियों को पुराने, घिसे-पिटे व कई बार फटे हुए गणवेश में ही स्कूल जाना पड़ रहा है। अधिकांश अभिभावकों का मानना है कि सरकारी योजनाओं का लाभ तभी सार्थक होगा जब वह समय पर और पूर्ण पारदर्शिता के साथ छात्रों तक पहुंचे। गणवेश वितरण में हुई देरी शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाती है। शासन को चाहिए कि वह योजनाओं के क्रियान्वयन में तेजी लाए ताकि जरूरतमंद छात्र व अभिभावकों का भरोसा सरकारी तंत्र पर बना रहे।
महंगाई में 300 रुपये की ड्रेस कैसे संभव?
राज्य शिक्षा केन्द्र द्वारा इस वर्ष भी कक्षा 1 से 8वीं तक के विद्यार्थियों को गणवेश वितरित करने के बजाय उनके बैंक खातों में राशि भेजने का निर्णय लिया गया है। प्रत्येक छात्र को दो जोड़ी गणवेश के लिए कुल 600 रुपये दिए जाने हैं, यानि एक जोड़ी गणवेश के लिए 300 रुपये निर्धारित किए गए हैं। अभिभावकों का सवाल है कि मौजूदा महंगाई में क्या 300 रुपये में एक जोड़ी अच्छी गुणवत्ता की ड्रेस संभव है? बाजार में जहां कपड़ों के दाम लगातार बढ़ रहे हैं, ऐसे में इतनी कम राशि में ड्रेस खरीद पाना बेहद मुश्किल हो गया है।
अगले सप्ताह जारी हो सकती है राशि
जिला शिक्षा केन्द्र सतना से मिली जानकारी के अनुसार, गणवेश की राशि अगले सप्ताह तक छात्रों के खातों में ट्रांसफर की जा सकती है। राज्य शिक्षा केन्द्र भोपाल द्वारा 'वन क्लिक' के माध्यम से यह राशि सीधे भेजी जाएगी। इस संबंध में जिला व राज्य स्तर पर कई बार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग हो चुकी है। जिला शिक्षा अधिकारियों ने बताया कि छात्रों का डाटा वेरीफाई कर राज्य स्तर पर भेजा जा चुका है। हालांकि, कक्षा 1 में कुछ ऐसे विद्यार्थियों का प्रवेश भी हुआ है जिनकी समग्र आईडी नहीं बनी है। ऐसे छात्रों को 'पेंडिंग' सूची में रखा गया है और इन्हें दूसरे चरण में राशि प्रदान की जाएगी।
शिक्षा विभाग की लापरवाही का खामियाजा गरीब बच्चों पर भारी
शिक्षा विभाग की लापरवाही और योजनाओं में हो रही देरी का सीधा असर उन गरीब और जरूरतमंद बच्चों पर पड़ रहा है जो पूरी तरह से सरकारी सहायता पर निर्भर हैं। कई माता-पिता का कहना है कि वे निजी स्कूलों की फीस वहन नहीं कर सकते, इसलिए अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में भेजते हैं, लेकिन जब वहां भी सुविधाएं समय पर नहीं मिलतीं तो बच्चों का मन पढ़ाई से भटकने लगता है।
सीएम राइज स्कूलों में नहीं मिलेगी राशि
राज्य शिक्षा केन्द्र से प्राप्त आदेश के अनुसार, सीएम राइज (सांदीपनि), एकलव्य विद्यालय और कन्या शिक्षा परिसर स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को गणवेश की राशि नहीं दी जाएगी। इन स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के विद्यार्थियों को शासन द्वारा नि:शुल्क गणवेश उपलब्ध करवाई जाएगी। वहीं, कक्षा 9 से 12वीं तक के छात्रों को गणवेश के लिए स्वयं राशि जमा करनी होती है।
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