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छात्रों व बीमारों के लिए मुसीबत बनी सितपुरा-छींदा मार्ग की बदहाली

सतना के रैगाँव क्षेत्र में स्थित सितपुरा–छींदा मार्ग की बदहाल दशा से छात्र, मरीज़ और हजारों ग्रामीण बेहाल; प्रशासन की उदासीनता पर लोग सड़क पर धान रोपकर विरोध की चेतावनी दे रहे हैं।

By: Yogesh Patel

Jul 16, 20258 hours ago

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छात्रों व बीमारों के लिए मुसीबत बनी सितपुरा-छींदा मार्ग की बदहाली

राजस्व देने के बावजूद ग्रामीण हलाकान,  विरोध में सड़क पर धान रोपने की तैयारी 

सतना, स्टार समाचार वेब

जिले के रैगांव विधानसभा क्षेत्र अंतर्गत आने वाला सितपुरा-छींदा  मार्ग इस समय पूरी तरह जर्जर हो चुका है। बरसात में यह सड़क कीचड़ और गड्ढों से भर गई  है, जिससे इस रास्ते से गुजरना ग्रामीणों के लिए जान जोखिम में डालने वाला  हो गया है। इस मार्ग से जुड़े बरहा , बचवई, हरदुआ, छींदा, खम्हरिया, पटना, बड़ी खम्हरिया, रजरवार, महाकोना जैसे एक दर्जन से अधिक गांवों के हजारों लोग रोजाना आवाजाही करते हैं।  इस इलाके के छात्र-छात्राओं को पढ़ाई के लिए रोज सितपुरा तक जाना पड़ता है। लेकिन इस जर्जर मार्ग से गुजरना उनके लिए चुनौती बन चुका है। स्कूल और कॉलेज जाने वाले छात्रों को रोज कीचड़ में फिसलने और पानी से भरे गड्ढों से जूझना पड़ता है। ग्रामीणों ने बताया कि कई बार छात्र गिरकर घायल भी हो चुके हैं, लेकिन अब तक कोई सुध नहीं ली गई है।

जब सड़क खेत जैसी तो फसल उगाने में बुराई क्या? 

एक दर्जन से अधिक गांवों की आवाजाही का इकलौता साधन सितपुरा-छींदा मोड़ मार्ग पर राहगीर जहां बरसात में दलदली रास्ते का सामना करते हैं तो गरमी व ठंड के मौसम में यहां उठने वाला धूल व धुंए का गुबार लोगों को परेशान करता है। ग्रामीण कहते हैं कि न तो पर्यावरण प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड यहां क्रेसर से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित कर सका है और न ही प्रशासन उन्हें ऐसी सड़क ही मुहैया करा पाया जिससे ग्रामीण सुगमता से आवागमन कर सकें। अब ग्रामीणों ने विरोध का अनोखा तरीका अपनाते हुए चेतावनी दी है कि यदि सड़क का मरम्मत कार्य जल्द  शुरू नहीं हुआ तो वे इस सड़क पर धान रोपकर विरोध दर्ज कराएंगे। उपसरपंच अरविंद सिंह के अलावा रावेंद्र सिंह, जयवेंद्र सिंह  समेत अन्य ग्रामीणों का कहना है कि जब सड़क खेत जैसी हो चुकी है तो उसमें फसल उगाने में क्या बुराई है? उल्लेखनीय है कि यह इलाका प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री प्रतिमा बागरी का विधानसभा क्षेत्र है। ऐसे में अब ग्रामीणों को राज्यमंत्री से आस है कि वे समस्या को संजीदगी से लेकर सड़क निर्माण की राह आसान करा कई गांव के रहवासियों को राहत पहुंचाएंगी।  

खनिज से भर रही झोली पर गांव हो रहा बदहाल

यह मार्ग केवल ग्रामीणों की आवाजाही के लिए ही नहीं बल्कि सरकारी राजस्व के दृष्टिकोण से भी बेहद महत्वपूर्ण है। इस मार्ग पर कई स्टोन क्रशर और खदानें संचालित हैं, जिनसे सरकार हर साल मोटी रॉयल्टी भी वसूलती है। खदान व  क्रसर के चलते दिन भर दौड़ते ट्रक सड़क को चकनाचूर कर रहे हैं।  इसके बावजूद इस सड़क की हालत सुधारने के लिए कोई कार्य योजना नहीं बनाई गई है।  शिवपाल सिंह, नन्हें , बिटलू, रामपाल चौधरी समेत कई ग्रामीणों की मांग है कि खनिज निधि  से इस सड़क का निर्माण कराया जाए। उनका तर्क है कि जब खनिज संसाधनों का दोहन इस क्षेत्र से हो रहा है, तो बुनियादी सुविधाएं भी इसी क्षेत्र को मिलनी चाहिए।

कहां जाएं ग्रामीण : न अधिकारी न जनप्रतिनिधि गंभीर

स्थानीय लोगों का कहना है कि वे पिछले कई वर्षों से सड़क सुधार की मांग कर रहे हैं, लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने अब तक कोई गंभीरता नहीं दिखाई है। हालत यह है कि गड्ढों से भरी इस सड़क में आए दिन दोपहिया वाहन चालक गिरकर घायल हो रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार अधिकारी चुप्पी साधे हुए हैं। सड़क की स्थिति वर्षों से खराब है, लेकिन इसके स्थायी समाधान की दिशा में कोई प्रयास नहीं हुआ। ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग की स्थिति इतनी खराब है कि समय पर अस्पताल नहीं पहुंच पाने के कारण कई बार गंभीर मरीजों और गर्भवती महिलाओं को परेशानी झेलनी पड़ी है। बारिश के मौसम में हालात और भी खराब हो जाते हैं जब गड्ढों में पानी भरने से सड़क पूरी तरह दलदली हो जाती है।

यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिस सड़क से रोजाना कई गांव के ग्रामीण  व  छात्र निकलते हैं उसके गड्ढे दुर्घटना का कारण बन रहे हैं । यदि एक माह के भीतर सड़क मरम्मत का काम शुरू नहीं हुआ, तो वे सड़क पर धान रोपने के बाद चक्का जाम और धरना प्रदर्शन जैसे सख्त कदम उठाकर प्रशासन का ध्यान आकृष्ट कराएंगे। 

अरविन्द सिंह गांधी, उप सरपंच ग्राम पंचायत बचवई 

आज भी सड़क, बिजली और पानी जैसी बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। राजनीतिक घोषणाएं तो बहुत हुईं, लेकिन जमीनी स्तर पर हालात जस के तस बने हुए हैं। अगर प्रशासन और जनप्रतिनिधि उनकी समस्याएं नहीं सुलझा सकते तो उन्हें आगामी चुनाव में इसका जवाब देना होगा।

बादल सिंह, स्थानीय रहवासी 

सितपुरा-बम्हौर मार्ग की दुर्दशा न सिर्फ प्रशासनिक लापरवाही का प्रतीक है बल्कि यह ग्रामीण क्षेत्रों की उपेक्षा का उदाहरण भी  है। खनिज से भरपूर यह क्षेत्र विकास के मामले में आज भी पिछड़ा हुआ है। अब समय आ गया है कि सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठाए और जनता के धैर्य की परीक्षा लेना बंद करे।

पंकज द्विवेदी, स्थानीय रहवासी 

सड़क निर्माण को लेकर हम गंभीर हैं। मौका मुआयना करा जल्द ही इसके निर्माण की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। स्वीकृति मिलते ही सड़क के जर्जर होने की समस्या दूर हो जाएगी। 

उमेश कुमार साहू, जीएम प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना

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