भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने विशाल रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकल पड़े हैं। यह पवित्र यात्रा अगले 11 दिनों तक चलेगी, जिसका समापन 8 जुलाई को नीलाद्रि बिजय के साथ होगा।
By: Star News
Jun 28, 20251:00 AM
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स्टार समाचार वेब. धर्म
धर्मनगरी पुरी में भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की विश्व प्रसिद्ध रथ यात्रा का महापर्व आज, 27 जून 2025, शुक्रवार से विधिवत प्रारंभ हो गया है। लाखों श्रद्धालुओं की भीड़ के बीच, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने विशाल रथों पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकल पड़े हैं। यह पवित्र यात्रा अगले 11 दिनों तक चलेगी, जिसका समापन 8 जुलाई को नीलाद्रि बिजय के साथ होगा।
भक्ति, उत्साह और सांस्कृतिक गौरव से ओत-प्रोत यह रथ यात्रा न केवल भारत, बल्कि पूरे विश्व में अपनी भव्यता और अनूठी परंपरा के लिए जानी जाती है। श्रद्धालु 'जय जगन्नाथ' के उद्घोष के साथ रथों को खींचते हुए भगवान का आशीर्वाद प्राप्त कर रहे हैं।
27 जून, शुक्रवार: रथ यात्रा का प्रारंभ आज से भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा की रथ यात्रा का भव्य शुभारंभ हो गया है। भगवान अपने विशाल रथों पर सवार होकर गुंडिचा मंदिर की ओर प्रस्थान कर रहे हैं।
1 जुलाई, मंगलवार: हेरा पंचमी यह दिन देवी लक्ष्मी को समर्पित है, जब वह गुंडिचा मंदिर में भगवान जगन्नाथ से मिलने जाती हैं। मान्यता है कि इस दिन देवी लक्ष्मी भगवान जगन्नाथ को वापस लाने के लिए नाराज होकर आती हैं।
4 जुलाई, शुक्रवार: संध्या दर्शन इस दिन श्रद्धालु गुंडिचा मंदिर में भगवान के "संध्या दर्शन" कर सकेंगे। यह दर्शन अत्यधिक शुभ माना जाता है, क्योंकि इस दौरान भगवान अपने मौसी के घर में होते हैं।
5 जुलाई, शनिवार: बहुदा यात्रा यह रथ यात्रा की वापसी यात्रा है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा गुंडिचा मंदिर से अपने मुख्य मंदिर, जगन्नाथ मंदिर, पुरी लौटते हैं।
6 जुलाई, रविवार: सुना बेशा बहुदा यात्रा के बाद, भगवान अपने मुख्य मंदिर में लौटते हैं और इस दिन भगवान को सोने के आभूषणों (सुना बेशा) से सजाया जाता है। यह भगवान का सबसे भव्य श्रृंगार होता है।
7 जुलाई, सोमवार: अधरा पना इस दिन भगवान को विशेष पेय "अधरा पना" चढ़ाया जाता है, जो एक प्रकार का गाढ़ा शरबत होता है। यह पेय रथों पर ही चढ़ाया जाता है और माना जाता है कि इससे भगवान को यात्रा की थकान से मुक्ति मिलती है।
8 जुलाई, मंगलवार: नीलाद्रि बिजय (जगन्नाथ रथ यात्रा का समापन) यह रथ यात्रा का अंतिम दिन होता है, जब भगवान जगन्नाथ, बलभद्र और देवी सुभद्रा अपने-अपने रथों से उतरकर रत्नसिंहासन पर फिर से विराजमान होते हैं। इसके साथ ही जगन्नाथ रथ यात्रा का भव्य समापन होता है।
यह महापर्व भक्ति और परंपरा का अद्भुत संगम है, जो हर साल लाखों लोगों को अपनी ओर आकर्षित करता है।

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