भगवान शिव का प्रिय माह सावन (श्रावण) इस साल 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 को समाप्त होगा. इस पवित्र महीने में रुद्राभिषेक का महत्व कई गुना बढ़ जाता है,
By: Star News
Jun 21, 20256 hours ago
स्टार समाचार वेब
भगवान शिव का प्रिय माह सावन (श्रावण) इस साल 11 जुलाई 2025 से शुरू होकर 9 अगस्त 2025 को समाप्त होगा. इस पवित्र महीने में रुद्राभिषेक का महत्व कई गुना बढ़ जाता है, जिससे आध्यात्मिक उन्नति होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. रुद्राभिषेक भगवान शिव को प्रसन्न करने का एक विशेष अनुष्ठान है, जिसमें 108 पवित्र द्रव्यों से शिवलिंग का अभिषेक किया जाता है.
वैसे तो रुद्राभिषेक साल में कभी भी किया जा सकता है, पर सावन में इसका विशेष महत्व है. खासकर सावन के सोमवार, सावन शिवरात्रि और नाग पंचमी पर रुद्राभिषेक करना बेहद शुभ माना जाता है.
रुद्राभिषेक में दूध, घी, शक्कर, दही और शहद जैसे पंचामृत का उपयोग किया जाता है, जो भगवान शिव के पांच रूपों का प्रतीक माने जाते हैं. इन तत्वों से शिवलिंग का अभिषेक करने से भक्तों को कई लाभ मिलते हैं:
कष्टों से मुक्ति और सुख-समृद्धि: रुद्राभिषेक से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है.
स्वास्थ्य और आध्यात्मिक उन्नति: यह अनुष्ठान बेहतर स्वास्थ्य और गहरी आध्यात्मिक उन्नति में सहायक होता है.
सांसारिक बाधाएं दूर: शिव पुराण के अनुसार, सावन माह में किया गया रुद्राभिषेक कर्मफलदायक होता है और सांसारिक बाधाओं को दूर करता है.
मोक्ष और पितरों की शांति: मोक्ष की प्राप्ति के लिए और पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए भी सावन में रुद्राभिषेक विशेष रूप से फलदायी माना जाता है.
ग्रह दोष निवारण: ज्योतिष के अनुसार, सावन माह में किए गए रुद्राभिषेक से शनि, राहु-केतु जैसे ग्रहों के दुष्प्रभाव भी कम होते हैं.
सावन माह में रुद्राभिषेक कर आप महादेव की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं और अपने जीवन को सकारात्मक ऊर्जा से भर सकते हैं.