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मध्यप्रदेश में नल जल ... बंद कमरे में बनी डीपीआर ... 141 इंजीनियरों को नोटिस

मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत बड़ी प्रशासनिक चूक सामने आई है। योजनाओं की डीपीआर बिना गांवों का दौरा किए कागजों पर तैयार कर दी गई। इस लापरवाही के कारण योजना की लागत बढ़ गई और केंद्र सरकार ने अतिरिक्त राशि देने से हाथ खडे कर दिए। इसके चलते राज्य सरकार को 2,813 करोड़ अपने खजाने से खर्च करने पड़ेंगे।

By: Arvind Mishra

Sep 04, 20253:26 PM

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मध्यप्रदेश में नल जल ... बंद कमरे में बनी डीपीआर ... 141 इंजीनियरों को नोटिस

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव।

  • जल जीवन मिशन में गड़बड़ी उजागर

  • केंद्र का अतिरिक्त राशि देने से इंकार

भोपाल। स्टार समाचार वेब

मध्यप्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत बड़ी प्रशासनिक चूक सामने आई है। योजनाओं की डीपीआर बिना गांवों का दौरा किए कागजों पर तैयार कर दी गई। इस लापरवाही के कारण योजना की लागत बढ़ गई और केंद्र सरकार ने अतिरिक्त राशि देने से हाथ खडे कर दिए। इसके चलते राज्य सरकार को 2,813 करोड़ अपने खजाने से खर्च करने पड़ेंगे। दरअसल, प्रदेश में जल जीवन मिशन के अंतर्गत बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। पीएचई विभाग ने उन 141 इंजीनियरों को नोटिस जारी किए हैं, जिन्होंने बिना फील्ड विजिट और साइट निरीक्षण किए बंद कमरों में बैठकर योजनाओं की डीपीआर तैयार की। दावा किया जा रहा है कि संबंधित इंजीनियरों ने कागजों पर योजनाओं के आकलन में भारी गड़बड़ी की, जिसके चलते योजनाओं की लागत बेवजह बढ़ गई। जांच में पाया गया कि इंजीनियरों ने न तो गांवों का दौरा किया और न ही स्थलीय स्थिति का आकलन किया। पूरी डीपीआर केवल कागजों पर तैयार की गई। इसी आधार पर विभाग ने 141 इंजीनियरों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। नोटिस उन इंजीनियरों को भी भेजे गए हैं, जो अब रिटायर हो चुके हैं।  

केंद्र का बढ़ी राशि देने से इंकार

दरअसल, केंद्र सरकार ने बढ़ी हुई लागत को मंजूरी देने से इंकार कर दिया है। इसके बाद प्रदेश सरकार ने अतिरिक्त 2,813 करोड़ रुपए खर्च करने की स्वीकृति दी, ताकि करीब सात लाख घरों तक नल से जल पहुंचाने का लक्ष्य प्रभावित न हो।

मेल नहीं खा रहा खर्च का अनुमान

प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत 19,000 से अधिक योजनाओं का प्रस्ताव तैयार किया गया था। जांच में सामने आया कि इनमें से 8,358 योजनाओं का आकलन गलत किया गया। डीपीआर में खर्च का अनुमान वास्तविकता से मेल नहीं खा रहा था। अब राज्य सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव लाकर अतिरिक्त राशि वहन करने को मंजूरी दी है।

जिमेदार अफसर नपेंगे

नल-जल योजना के कामों में गड़बड़ी को रोकने के लिए दो स्तर पर निगरानी होगी। कई विभागों को इसमें मिलकर काम करने होंगे। पहली निगरानी पीएचई विभाग करेगा लेकिन इसके लिए अफसरों को मैदान में उतरकर काम करना होगा। दूसरे एवं बड़े स्तर पर पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग का जिमा होगा, जो स्थानीय निकायों व ग्राम पंचायतों के जरिए निगरानी कराएगा। इसके बाद भी गड़बड़ी हुई तो दोनों ही विभाग के जिमेदार अफसर नपेंगे। मोहन सरकार इसके लिए ग्रामीण नलजल योजना संचालन-संधारण एवं प्रबंधन नीति लेकर ला रही है।

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