उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के नकहा में शारदा नदी पर एक नाव पलटने से बड़ा हादसा हो गया है। यह हादसा नौव्वापुर घाट के पास हुआ। नाव में 20 लोग सवार थे। ये लोग नदी के दूसरे किनारे पर मौजूद साप्ताहिक हाट में जा रहे थे। 18 लोगों को बचा लिया गया, लेकिन एक बाप-बेटी बह गए।
By: Arvind Mishra
Sep 06, 2025just now
लखीमपुर खीरी। स्टार समाचार वेब
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी के नकहा में शारदा नदी पर एक नाव पलटने से बड़ा हादसा हो गया है। यह हादसा नौव्वापुर घाट के पास हुआ। नाव में 20 लोग सवार थे। ये लोग नदी के दूसरे किनारे पर मौजूद साप्ताहिक हाट में जा रहे थे। 18 लोगों को बचा लिया गया, लेकिन एक बाप-बेटी बह गए। गोताखोर उनकी तलाश में सर्च अभियान चला रहे हैं। दरअसल, लखीमपुर खीरी जनपद के नकहा क्षेत्र में 20 ग्रामीणों को लेकर जा रही नाव अधूरे पुल के पिलर से टकरा गई, जिससे नाव शारदा नदी में पलट गई। नाव पर सवार पिता-पुत्री नदी में बह गए। जबकि अन्य ग्रामीणों को सकुशल निकाल लिया गया है। कुछ लोग तैरकर किनारे पर आ गए।
सूचना मिलते ही पुलिस टीम मौके पर पहुंच गई। अफसर भी मौके पर पहुंचे। लापता पिता-पुत्री की तलाश में एनडीआरएफ की टीमें लगाई गई हैं। अपर पुलिस अधीक्षक विवेक तिवारी, एसडीएम अश्वनी सहित अन्य अधिकारियों ने मौके का जायजा लिया।
ग्रामीणों के मुताबिक हादसा शनिवार सुबह करीब आठ बजे हुआ। ग्रामीण नाव से शारदा नदी के दूसरे छोर पर जा रहे थे। इसी दौरान नौव्वापुर घाट पर अधूरे पड़े पुल के पिलर से टकराकर नाव नदी में पलट गई। बहाव तेज होने की वजह से ग्रामीण बहने लगे।
नाव पलटने और लोगों को बहता देख दूसरी छोर पर खड़े ग्रामीणों ने नदी में छलांग लगा दी और उन्हें रस्सी के सहारे बाहर निकाला। लेकिन पिता-पुत्री को नहीं बचा पाए। दोनों तेज बहाव के कारण पानी में बहते चले गए। उनका पता नहीं चला है। उधर, हादसे के बाद लापता पिता-पुत्री के परिवार में मातम पसर गया।
इसी टूटे हुए पुल के पास पांच साल पहले भी ऐसा ही हादसा हुआ था जब नाव पलट गई थी जिसमें पांच लोगों की डूब कर मौत हो गई थी। ग्रामीणों का आरोप है कि वर्षों से अधूरा पड़ा पुल आए दिन लोगों की जान ले रहा है सरकारें आती है, चली जाती हैं। लेकिन इस पुल की तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता। हम लोगों के आने-जाने का माध्यम नाव ही है।
लखीमपुर खीरी जिले की गोला पलिया निघासन धौरहरा सदर समेत पांच तहसीलें बाढ़ की चपेट में है। यहां हर साल बाढ़ की तबाही होती है। कई ग्रामीणों का अपना आशियाना छिन जाता है तो कई गांव का वजूद मिट जाता है। प्रशासन बाढ़ से निपटने के लिए पहले से कोई ठोस इंतजाम नहीं कर पाता इसका खामियाजा ग्रामीणों को भुगतना पड़ता है।