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प्रज्ञा ठाकुर ने किया कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का समर्थन: 'अर्धनग्न पहनावे से बढ़ रहा दुराचार'

भोपाल की पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के लिव-इन संबंधों और पश्चिमी पहनावे पर दिए गए बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि संस्कारों की कमी के कारण लड़कियां अर्धनग्न दिखती हैं और इससे दुराचार बढ़ता है। जानें उन्होंने और क्या कहा।

By: Ajay Tiwari

Sep 07, 20255:07 PM

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प्रज्ञा ठाकुर ने किया कथावाचक अनिरुद्धाचार्य का समर्थन: 'अर्धनग्न पहनावे से बढ़ रहा दुराचार'

हाइलाइट्स

  • पूर्व सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर का बयान
  • अनिरूद्धाचार्य के बयानों का किया समर्थन
  • नग्नता से बढ़ती हैं दुराचार की घटनाएं

वृंदावन. स्टार समाचार वेब

पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के लिव-इन संबंधों और पश्चिमी पहनावे पर दिए गए बयान का समर्थन किया है। उन्होंने कहा कि जब माता-पिता अपने बच्चों को संस्कार नहीं देते, तो लड़कियां अर्धनग्न दिखाई देती हैं, जिससे दुराचार की घटनाएं बढ़ती हैं।

‘संस्कारों की कमी से बढ़ती है समाज में विकृति’

पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने हाल ही में वृंदावन में कथावाचक अनिरुद्धाचार्य से मुलाकात की। इस दौरान उन्होंने अनिरुद्धाचार्य के उस बयान का समर्थन किया, जिसमें उन्होंने लिव-इन संबंधों और पश्चिमी पहनावे पर चिंता जताई थी।

प्रज्ञा ठाकुर ने कहा कि अनिरुद्धाचार्य की बातें समाज की वर्तमान स्थिति को दर्शाती हैं और वे पूरी तरह से सही हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि जब माता-पिता अपने बच्चों को मर्यादा और अनुशासन नहीं सिखाते, तो इसका परिणाम समाज में बढ़ती विकृतियों के रूप में सामने आता है। उन्होंने कहा, "जब लड़कियां स्कूल-कॉलेज जाती हैं, तो वे कई बार अर्धनग्न दिखाई देती हैं। इसका एक बड़ा कारण संस्कारों की कमी है, और ऐसे माहौल में दुराचार की घटनाएं भी बढ़ जाती हैं।"

बेटों पर भी लागू हो अनुशासन के नियम

प्रज्ञा ठाकुर ने यह भी कहा कि अनुशासन के नियम केवल लड़कियों पर ही नहीं, बल्कि लड़कों पर भी समान रूप से लागू होने चाहिए। उन्होंने कहा, "जिस तरह बेटियों से घर लौटने का समय पूछा जाता है, उसी तरह बेटों से भी पूछा जाना चाहिए। घर लौटने का समय एक अनुशासन है, जिसका पालन सभी को करना चाहिए।"

उन्होंने कहा कि अगर माता-पिता दोनों बच्चों को सही शिक्षा नहीं देंगे, तो पश्चिमी सोच और समाज में फैल रही विकृति के कारण रिश्तों की पहचान करना भी मुश्किल हो जाएगा।

संयुक्त परिवार है संस्कृति का आधार

प्रज्ञा ठाकुर ने संयुक्त परिवारों के महत्व पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार की परंपरा केवल भारत में ही है और यह बच्चों के सर्वांगीण विकास के लिए आवश्यक है। उन्होंने गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान को इसके अच्छे उदाहरण बताया, जहां अधिकतर लोग संयुक्त परिवारों में रहते हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त परिवार न केवल हमारी संस्कृति को बचाए रखता है, बल्कि बच्चों को संस्कारित और सुगठित बनाता है।

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