प्रेम कुमार जैसे ही कुर्सी की ओर बढ़े, नीतीश कुमार दाहिनी ओर खड़े थे और तेजस्वी बाईं ओर से आ रहे थे। प्रेम कुमार बैठने ही वाले थे कि सीएम ने हल्के संकेत के साथ कहा-अरे रुकिए। उनके स्वर में सम्मान के साथ-साथ यह आग्रह भी साफ था कि इस ऐतिहासिक पल में तेजस्वी बराबरी से शामिल रहें।
By: Arvind Mishra
Dec 02, 20253:00 PM
पटना। स्टार समाचार वेब
बिहार विधानसभा के विशेष सत्र में मंगलवार को ऐसा नजारा देखने को मिला जिसने कठोर राजनीति की दीवारों के बीच भी रिश्तों की गर्माहट की झलक दिखा दी। मौका था 18वीं विधानसभा के नवनिर्वाचित अध्यक्ष प्रेम कुमार को परंपरा अनुसार आसन तक ले जाने का, लेकिन यह औपचारिकता उस समय अनौपचारिक अपनत्व में बदल गई जब सीएम नीतीश कुमार ने प्रेम कुमार को आसन पर बैठने से अचानक रोक दिया, सिर्फ इसलिए कि नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव भी साथ शामिल हो सके। दरअसल, प्रोटेम स्पीकर द्वारा प्रेम कुमार के नाम की घोषणा के बाद सदन की परंपरा के मुताबिक सीएम और नेता प्रतिपक्ष दोनों स्पीकर को आसन पर बैठाने पहुंचे। प्रेम कुमार जैसे ही कुर्सी की ओर बढ़े, नीतीश कुमार दाहिनी ओर खड़े थे और तेजस्वी बाईं ओर से आ रहे थे। प्रेम कुमार बैठने ही वाले थे कि सीएम ने हल्के संकेत के साथ कहा-अरे रुकिए। उनके स्वर में सम्मान के साथ-साथ यह आग्रह भी साफ था कि इस ऐतिहासिक पल में तेजस्वी बराबरी से शामिल रहें।
सदन जय श्रीराम के उद्घोष से गूंजा
तेजस्वी जैसे ही आसन की बाईं ओर पहुंचे, नीतीश ने मुस्कुराते हुए कहा-अब बैठिए और फिर दोनों नेताओं ने एक साथ प्रेम कुमार का हाथ पकड़कर उन्हें आसन पर बैठाया। सदन जय श्रीराम के उद्घोष से गूंज उठा, और यह दृश्य महज संसदीय प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक भावनात्मक फ्रेम जैसा बन गया जिसने सदन की हवा को पलभर में बदला।
सम्राट से मिलाया हाथ
बदलते समीकरणों के बीच भी नीतीश-तेजस्वी के रिश्ते कई बार सार्वजनिक मंचों पर सहजता से दिख जाते हैं। यह वही दिन था जब तेजस्वी सम्राट चौधरी से हाथ मिलाते नजर आए और रामकृपाल यादव से गले भी मिले। विधानसभा में उनकी यह सहजता और नीतीश का यह सौहार्दपूर्ण संकेत बताता है कि भले ही दोनों की राजनीतिक राहें अलग हों, लेकिन उनकी व्यक्तिगत समझदारी और पारस्परिक सम्मान अब भी बनी हुई है।