क्त किसी कारखाने में नहीं बनता; यह केवल एक स्वस्थ मानव शरीर में ही पैदा होता है. दुर्घटनाओं, जटिल सर्जरी, कैंसर के उपचार, थैलेसीमिया और हीमोफीलिया जैसे गंभीर रोगों से जूझ रहे मरीजों के लिए रक्त की उपलब्धता जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन जाती है।
By: Star News
Jun 09, 20257:33 PM
स्टार समाचार वेब.
रक्त किसी कारखाने में नहीं बनता; यह केवल एक स्वस्थ मानव शरीर में ही पैदा होता है. दुर्घटनाओं, जटिल सर्जरी, कैंसर के उपचार, थैलेसीमिया और हीमोफीलिया जैसे गंभीर रोगों से जूझ रहे मरीजों के लिए रक्त की उपलब्धता जीवन और मृत्यु का प्रश्न बन जाती है। दुनियाभर में, विशेषकर निम्न और मध्यम आय वाले देशों में, रक्त की उपलब्धता में एक गंभीर और चिंताजनक असमानता बनी हुई है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के आंकड़े इस असमानता की एक भयावह तस्वीर पेश करते हैं. जहाँ उच्च-आय वाले देशों में प्रति 1,000 लोगों पर लगभग 31.5 यूनिट रक्त दान किया जाता है, वहीं निम्न-आय वाले देशों में यह आंकड़ा घटकर मात्र 5.0 यूनिट प्रति 1,000 व्यक्ति रह जाता है. यह दिखाता है कि जहाँ रक्त की सबसे ज्यादा और तात्कालिक ज़रूरत होती है, वहाँ उसकी उपलब्धता सबसे कम है. यह विरोधाभास लाखों लोगों के जीवन को सीधे तौर पर प्रभावित करता है, जिन्हें आपातकालीन स्थितियों में या दीर्घकालिक बीमारियों के इलाज के लिए समय पर रक्त नहीं मिल पाता.
भारत में भी रक्त की कमी एक गंभीर चुनौती बनी हुई है, जो लाखों जिंदगियों के लिए खतरा बन रही है. विभिन्न रिपोर्ट्स के अनुसार, हमारे देश को सालाना लगभग 1.3 करोड़ यूनिट रक्त की आवश्यकता होती है. इसके बावजूद, हम सालाना लगभग 8.83 लाख लीटर (लगभग 19 लाख यूनिट) रक्त की कमी का सामना करते हैं. इसका सीधा अर्थ है कि देश में आवश्यक रक्त का लगभग 15% हिस्सा अनुपलब्ध रहता है.
यह कमी तब और भी गंभीर हो जाती है जब हम यह देखते हैं कि एनीमिया (रक्त की कमी) जैसी स्वास्थ्य समस्याएं बड़ी आबादी, खासकर महिलाओं और बच्चों को बुरी तरह प्रभावित करती हैं. इन वर्गों को नियमित रक्त की आवश्यकता पड़ती है, और कमी उनकी स्थिति को और बदतर बना देती है. विडंबना यह है कि इस गंभीर कमी के बावजूद, रख-रखाव की कमी, अपर्याप्त भंडारण सुविधाओं, और लॉजिस्टिक्स संबंधी चुनौतियों के कारण दान किए गए रक्त का एक बड़ा हिस्सा बर्बाद भी हो जाता है. यह एक दोहरा नुकसान है - एक तरफ कमी, दूसरी तरफ बर्बादी
रक्त की कमी एक ऐसी मानवीय समस्या है जिसका समाधान सामूहिक प्रयासों से ही संभव है. हर व्यक्ति का एक यूनिट रक्त, किसी के लिए जीवन का वरदान बन सकता है. यह न केवल एक चिकित्सीय प्रक्रिया है, बल्कि एक गहरी सामाजिक जिम्मेदारी और मानवता के प्रति हमारी प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है. आइए, इस चुनौती को समझें और इसे दूर करने के लिए अपनी भूमिका निभाएँ, ताकि कोई भी जीवन रक्त के अभाव में समाप्त न हो.
जागरूकता बढ़ाना: रक्तदान से जुड़ी भ्रांतियों को दूर करना और लोगों को इसके महत्व के बारे में शिक्षित करना.
स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देना: स्वैच्छिक और नियमित रक्तदाताओं की संख्या बढ़ाना, ताकि रक्त की निरंतर आपूर्ति बनी रहे.