संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार को संपन्न हो गया, और सत्र के समापन के बाद संसद परिसर में एक अलग ही सियासी तस्वीर देखने को मिली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी समेत सत्ता पक्ष और विपक्ष के तमाम दलों के सांसद एक साथ नजर आए।
By: Arvind Mishra
Dec 19, 202512:45 PM

नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
संसद का शीतकालीन सत्र बुधवार को संपन्न हो गया, और सत्र के समापन के बाद संसद परिसर में एक अलग ही सियासी तस्वीर देखने को मिली। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी समेत सत्ता पक्ष और विपक्ष के तमाम दलों के सांसद एक साथ नजर आए। इस दौरान संसद के कामकाज और सत्र की कार्यवाही को लेकर चाय पर अनौपचारिक चर्चा की गई। इस बैठक की तस्वीरें और वीडियो सामने आए हैं, जिनमें सत्ता और विपक्ष के कई दिग्गज नेता एक ही मंच पर दिख रहे हैं। दरअसल, संसद सत्र के समापन के बाद प्रधानमंत्री द्वारा चाय पार्टी आयोजित करने की परंपरा रही है, जिसमें सत्ता पक्ष के साथ-साथ विपक्षी दलों को भी आमंत्रित किया जाता है। इसे संसदीय लोकतंत्र में संवाद और सौहार्द का प्रतीक माना जाता है। शीतकालीन सत्र के बाद सभी दलों के नेताओं का एक साथ चाय पर चर्चा करना राजनीतिक हलकों में सकारात्मक संकेत के तौर पर देखा जा रहा है।
यह रहे मौजूद
चाय चर्चा में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, नागर विमानन मंत्री राम मोहन नायडू, केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान, ललन सिंह, किरण रिजिजू, अर्जुनराम मेघवाल, एनसीपी (एसपी) सांसद सुप्रिया सुले, समाजवादी पार्टी सांसद राजीव राय, धर्मेंद्र यादव, और डीएमके सांसद ए राजा सहित कई फ्लोर लीडर मौजूद रहे।
एक समर्पित हॉल की मांग
पीएम नरेंद्र मोदी और प्रियंका गांधी के बीच वायनाड को लेकर सौहार्दपूर्ण और सकारात्मक बातचीत हुई। बैठक के दौरान सदस्यों ने प्रधानमंत्री के सामने नए संसद भवन में एक समर्पित हॉल की मांग रखी। इस पर एक वरिष्ठ मंत्री ने कहा-पुराने संसद भवन में भी ऐसी ही व्यवस्था थी, लेकिन उसका बहुत कम इस्तेमाल होता था।
हंगामे के कारण सत्र सिमटा
सदस्यों ने पीएम को यह भी बताया कि सत्र काफी उपयोगी रहा। हालांकि इसे और आगे बढ़ाया जा सकता था, क्योंकि देर रात तक विधेयक पारित करना आदर्श नहीं माना जाता। हल्के-फुल्के अंदाज में यह भी कहा गया कि विपक्ष के लगातार विरोध प्रदर्शन के कारण सत्र अपेक्षाकृत छोटा रहा। इस पर प्रधानमंत्री ने मजाकिया लहजे में कहा-वह विपक्ष की आवाजों पर ज्यादा जोर नहीं डालना चाहते थे।
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