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तीन इंच की बारिश में फिर घरों व दुकानों में घुसा पानी

सतना में महज तीन इंच बारिश से ही घरों और दुकानों में पानी घुस गया। स्मार्ट सिटी की नाकामी और ड्रेनेज सिस्टम की पोल खोलता यह हाल।

By: Yogesh Patel

Jun 26, 20259:28 PM

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तीन इंच की बारिश में फिर घरों व दुकानों में घुसा पानी

शहर की सड़कें बनी तालाब.... 

सतना, स्टार समाचार वेब

तस्वीर देखकर यदि आप सोच रहे हैं कि लोग किसी नदी को पार कर रहे हैं तो आपकी सोच गलत है। यह नजारा किसी नदी, तालाब का नहीं बल्कि स्मार्ट सिटी सतना के मुख्य चौराहों और गलियों की है, जहां बुधवार को हुई 3.268 इंच की बारिश में सड़कें नदियां व तालाब बन गईं। कई घरों और दुकानों में पानी घुस गया। पिछले पांच दिनों के अंदर दुकानों और घरों में दूसरी बार पानी घुसने से शहर के ड्रेनेज सिस्टम और वर्ल्ड क्लास इंजीनियरिंग पर सवाल उठने लगे हैं। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट और नगर निगम द्वारा शहर में कई निर्माण व विकास कार्य कराए गए हैं। इन विकास कार्यों में सड़क,नाली के निर्माणके अलावा चौराहों के सौन्दर्यीकरण का काम भी शामिल है। इन कामों में करोड़ों रुपये खर्च किए जाने के बाद भी जल निकासी की पर्याप्त व्यवस्था नहीं की गई, जिसके चलते चंद मिनटों की बारिश में ही शहर के प्रमुख चौराहे जलमग्न हो गए। पानी निकासी का सिस्टम सही न होने घंटों इन चौराहों में घुटनों तक पानी भरा रहा। हालत यह रही कि कई दुकानों और घरों के सामने सड़कें ऊंची होने से उनमें भी पानी भरा रहा। सबसे दुर्भाग्यपूर्ण पहलू तो यह है कि शहर के सर्वांगीण विकास का प्लान तैयार करने और उस विकास को अमली जामा पहनाने वाले नगर निगम कार्यालय से महज 100 मीटर के दायरे के अंदर ही सर्किट हाउस चौराहा तालाब बना रहा। तो उसके आसपास की गलियां नदियों में तब्दील रहीं। 

हर जगह पानी-पानी

मंगलवार की देर रात से बुधवार की शाम तक लगभग 85 मिमी बारिश हुई। इस बारिश ने शहर के व्यवस्थित विकास को पूरी तरह से लोगों के सामने रख दिया। शहर का ऐसा कोई भी कोना नहीं रहा होगा जहां पानी घुटनों तक न भरा रहा हो। जल निकासी की उचित व्यवस्था न होने से यह समस्या खड़ी हुई है। सवाल यह उठता है कि विकास के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करने वाला नगर निगम जल निकासी की आखिर पर्याप्त व्यवस्था क्यों नहीं कर पा रहा है। 

गौशाला चौक में लगा रहा जाम

लंबे समय तक सीवर लाइन का दंश भोग चुके गौशाला चौक वासियों के लिए बारिश का यह मौसम परेशानियां लेकर आया है। सीवर लाइन डालने के लिए खोदी गई सड़क के कारण लोगों को आवागमन में काफी परेशानी है, लोगों की दुकानों और घरों में पानी घुसा तो शाम को जाम का सामना भी लोगों को करना पड़ा। 

मुख्य मार्ग की सड़कों ने कालोनी की गलियों को बना दिया नाला 

नगर निगम व स्मार्ट सिटी के काबिल इंजीनियरों द्वारा तैयार की गई ड्राइंग डिजाइन के आधार पर बनी शहर की सड़कें लोगों के घरों व दुकानों से ऊंची हो गई हैं, लिहाजा हल्की बारिश में ही पानी लोगों के घरों व दुकानों में घुस रहा है। शाम की बारिश से जहां लोग बचते नजर आए वहीं बाजार, चेम्बर वाली गली व अन्य स्थानों पर लोग दुकानों व घरों में पानी न घुसे इसका बचाव करते नजर आए। सड़कों की उंचाई ने कई कालोनी की गलियों को नाले में तब्दील कर दिया। 

नहीं नजर आए स्मार्ट सिटी-ननि के इंजीनियर

हाल ही में कलेक्टर सतीश कुमार एस ने निर्देशित किया था कि शहर में बारिश होने पर नगर निगम और स्मार्ट सिटी के इंजीनियर जल भराव वाले स्थानों पर पहुंचेंगे लेकिन बुधवार को न तो निगम के इंजीनियर और न ही स्मार्ट सिटी के इंजीनियर फील्ड पर नजर आए। बताया तो यहां तक जा रहा है कि कलेक्टर के निर्देश के बावजूद अभी तक जल भराव वाले स्थान चिन्हित नहीं किए गए हैं। जबकि शहर में जल भराव की समस्या बरसात के समय हर साल होती है और इससे निपटने के प्लान भी बनते हैं। यह बात अलग है कि इन प्लानों को आज तक अमली जामा नहीं पहनाया जा सका।

तय हो ‘अनाड़ियों’ की जवाबदेही

हर साल की तरह पहली ही बारिश में शहर के कई मोहल्ले जलमग्न हो गए। शहर का यह हाल तब रहा जब शहर में स्मार्ट सुविधाओं के नाम पर तकरीबन साढ़े 9 सौ करोड़ रूपए खर्च किए जा चुके हंै। सत्ता पक्ष के जनप्रतिनिधि जनता के बीच शहर की इस स्मार्टनेस को एक बड़ी उपलब्धि बताते रहे हैं, लेकिन बुधवार की बारिश ने जनप्रतिनिधियों के घरों का भी रूख किया। यह सच है कि सतना का स्मार्ट सिटी से जुड़ना एक बड़ी उपलब्धि थी लेकिन योजना का क्रियान्वयन अधिकारियों और तकनीकी अमले ने किया , उससे एक बात तो साफ हो गई कि स्मार्ट सिटी को विकसित करने की कमान जिस अमले पर थी वह स्मार्ट नहीं बल्कि अनाड़ी थे, जिन्हें इतनी भी तकनीकी समझ नहीं थी कि यदि सड़क  के ऊपर सड़क बना दी गई तो यह उचाई घरों में मलबे और प्रदूषित पानी के भरने का कारण बनेगी। बारिश हुई तो ऐसा ही हुआ। यहां तक कि प्रमुख मार्गों से जुड़े कई जनप्रतिनिधियों के घरों में भी प्रदूषित पानी घुस गया। तकनीकी अमले की चूक ने जनप्रतिनिधियों के स्मार्ट सिटी बनाने के दावों को कटघरे में खड़ा कर दिया है। इसे अधिकारियों व सत्तापक्ष के नेताओं को संजीदगी से लेना होगा और साढ़े 9 सौ करोड़ खर्च होने के बाद भी जलनिकासी जैसी समस्याएं खड़ी करने वालों की जवाबदेही तय करनी होगी, अन्यथा शहरवासियों को स्मार्ट सुविधाएं मुहैया कराने की सरकार की यह  महत्वाकांक्षी योजना जनमानस के लिए जहां परेशानी का सबब बनती रहेगी वहीं सरकार की ‘स्मार्ट ब्रांडिंग’ करने वाली यह योजना लोगों की नाराजगी का कारण बनेगी।

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