ईडी ने इंदौर के पाथ इंडिया ग्रुप के ठिकानों पर छापा मारा है। यह कार्रवाई अनिल अंबानी के हालिया बैंक लोन घोटाले से जुड़ी हुई है। दरअसल, ईडी ने मंगलवार सुबह इंदौर के पाथ इंडिया ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी की टीम पांच-छह गाड़ियों के साथ पाथ ग्रुप के कार्यालय और निदेशकों के आवासों पर पहुंची और जांच शुरू की।
By: Arvind Mishra
Sep 30, 2025just now
इंदौर। स्टार समाचार वेब
ईडी ने इंदौर के पाथ इंडिया ग्रुप के ठिकानों पर छापा मारा है। यह कार्रवाई अनिल अंबानी के हालिया बैंक लोन घोटाले से जुड़ी हुई है। दरअसल, ईडी ने मंगलवार सुबह इंदौर के पाथ इंडिया ग्रुप के ठिकानों पर छापेमारी की। ईडी की टीम पांच-छह गाड़ियों के साथ पाथ ग्रुप के कार्यालय और निदेशकों के आवासों पर पहुंची और जांच शुरू की। पाथ ग्रुप के एमडी नितिन अग्रवाल हैं, जबकि निपुण अग्रवाल, सक्षम अग्रवाल, नीति अग्रवाल और संतोष अग्रवाल डायरेक्टर के पद पर हैं। इसके अलावा आशीष अग्रवाल और आदित्य उपाध्याय इंडिपेंडेंट डायरेक्टर हैं। यह छापेमारी अनिल अंबानी से संबंधित बैंक लोन घोटाले की जांच का हिस्सा है। ईडी को इनपुट मिले थे कि अनिल अंबानी की एक कंपनी और पाथ ग्रुप के बीच कई निर्माण कार्यों को लेकर समझौते हुए हैं। ईडी को संदेह है कि इन समझौतों की आड़ में करोड़ों रुपए की राशि इधर-उधर की गई है।
ईडी की टीम ने मंगलवार को पाथ ग्रुप के अलग-अलग ठिकानों से दस्तावेज, कंप्यूटर और डिजिटल डिवाइस जब्त किए हैं। वहीं दावा किया जा रहा है कि जांच के दौरान बड़े पैमाने पर हवाला और मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ रिकॉर्ड ईडी के हाथ लगे हैं। इससे बड़ा खुलासा होने का दावा किया जा रहा है। हालांकि अभी जांच चल रही है। ईडी की तरफ से कोई आधिकारिक बयान सामने नहीं आया है।
दस साल पहले पाथ ग्रुप पर आयकर विभाग ने भी छापा मारा था। उस समय सामने आया था कि राजस्थान में एक हाईवे निर्माण परियोजना का ठेका अनिल अंबानी की कंपनी को मिला था, जिसे पाथ ग्रुप को पेटी कॉन्ट्रैक्ट के तौर पर सौंपा गया।
इस प्रोजेक्ट को लेकर दो अलग-अलग अनुबंध बनाए गए थे। एक आधिकारिक और दूसरा गोपनीय। इस गुप्त करार में यह प्रावधान था कि कंपनी को मिलने वाली अतिरिक्त राशि को अन्य कंपनियों के माध्यम से शिफ्ट किया जाएगा।
आयकर विभाग की जांच में यह भी सामने आया था कि इस राशि को देशभर की अलग-अलग कंपनियों से ट्रांसफर किया गया और फिर यह पैसा दुबई के माध्यम से दोबारा भारत में लाया गया। इन लेन-देन से लाभ उठाने वाली कंपनियों के तार अनिल अंबानी के ग्रुप से जुड़े हुए पाए गए थे।