भारत से हर साल लाखों लोग अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले पांच सालों में 9 लाख से ज्यादा भारतीयों ने भारतीय नागरिकता त्याग दी है। 2022 से हर साल यह संख्या 2 लाख से ऊपर पहुंच गई है।
By: Arvind Mishra
Dec 18, 202512:20 PM
नई दिल्ली। स्टार समाचार वेब
भारत से हर साल लाखों लोग अपनी नागरिकता छोड़ रहे हैं। विदेश मंत्रालय ने संसद को बताया कि पिछले पांच सालों में 9 लाख से ज्यादा भारतीयों ने भारतीय नागरिकता त्याग दी है। 2022 से हर साल यह संख्या 2 लाख से ऊपर पहुंच गई है। 2011 से 2024 तक कुल 2.06 मिलियन (20.6 लाख) भारतीयों ने नागरिकता छोड़ी, जिसमें आधी से ज्यादा पिछले पांच सालों में छोड़ी। खासकर कोविड महामारी के दौरान और बाद में भारतीय लोगों ने भारत छोड़ा है। पहले करीब 10 साल तक हर साल 1.2 लाख से 1.45 लाख लोग नागरिकता छोड़ते थे। कोविड के समय 2020 में यह संख्या घटकर 85,000 रह गई थी, क्योंकि यात्रा करना प्रतिबंधित था, लेकिन पोस्ट-कोविड में फिर बढ़ोतरी हुई और 2022 से हर साल दो लाख से ज्यादा लोगों ने भारत को अलविदा कह दिया।
इसलिए छोड़ रहे नागरिकता
विदेश मंत्रालय का कहना है कि वजहें व्यक्तिगत हैं। सिर्फ व्यक्ति को पता होती हैं। ज्यादातर लोग व्यक्तिगत सुविधा के लिए विदेशी नागरिकता लेते हैं। मंत्रालय ने कहा-ज्ञान आधारित अर्थव्यवस्था के दौर में वैश्विक कार्यक्षेत्र की संभावनाओं को भारत मान्यता देता है। एक बड़ा कारण यह है कि भारत में दोहरी नागरिकता की सुविधा नहीं है।
वोटिंग या चुनाव लड़ने का अधिकार नहीं
नागरिकता कानून 1955 की धारा 9 के तहत, अगर कोई भारतीय विदेशी नागरिकता लेता है तो भारतीय नागरिकता अपने आप खत्म हो जाती है। विदेशों में वोटिंग का अधिकार, सोशल सिक्योरिटी, बिना रोक-टोक रहना, सरकारी नौकरियां और लंबे समय की स्थिरता सिर्फ नागरिकता से मिलती है। भारत का ओवरसीज सिटिजन आफ इंडिया कार्ड वीजा-फ्री यात्रा और कुछ आर्थिक अधिकार देता है, लेकिन वोटिंग या चुनाव लड़ने जैसे राजनीतिक अधिकार नहीं देता।
प्रभावशाली लोग विदेश जा रहे
लेखक संजय बारू की किताब सेसेशन आफ द सक्सेसफुल, द फ्लाइट आउट आफ न्यू इंडिया में इसे प्रवासन की चौथी लहर कहा गया है। इसमें अमीरों के बच्चे, हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स और प्रभावशाली लोग विदेश जा रहे हैं। मॉर्गन स्टैनली के डेटा के मुताबिक, 2014 से अब तक 23,000 भारतीय मिलियनेयर्स देश छोड़ चुके हैं। पहले की लहरें अलग थीं, यानी ब्रिटिश काल में मजदूर और 1970 से डॉक्टर-इंजीनियर जैसे प्रोफेशनल्स।
ज्यादातर लोग यहां जा रहे
दावा किया गया है कि भारतीय नागरिक अपनी पहचान छोड़कर ज्यादातर अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और आस्ट्रेलिया जा रहे हैं। इन देशों के पासपोर्ट ज्यादा आकर्षक हैं और अवसर ज्यादा मिलते हैं। 1970 से भारत में ब्रेन ड्रेन की समस्या है, जो 2020 के दशक में और तेज हुई। सरकार का कहना है कि लोग व्यक्तिगत वजहों से ऐसा करते हैं।